संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO)
संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations Organization— UNO): श्री आरपी पूनिया (बाड़मेर) का आर्टिकल जो आरएएस (RAS), सिविल सेवा तथा राजस्थान एवं भारत की विभिन्न परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।
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RAS Mains Paper-III, Unit-1 IR }
प्रथम विश्व युद्ध (1914 -18) के बाद विश्व शांति स्थापित करने के व्यापक प्रयास शुरू किए गए वर्साय संधि में राष्ट्र संघ की स्थापना हुई लेकिन यह द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका को रोक नहीं सका , अतः अधिक प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता महसूस हुई ताकि भावी पीढ़ियों को युद्ध की विभीषिका से बचाया जा सके , इसी के फलस्वरूप 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई।
संयुक्त राष्ट्र संघ का विकास (Evolution of UNO)–
प्रथम अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन 1899 में द हेग (नीदरलैंड) में हुआ जिसका उद्देश्य संकटों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने, युद्ध को रोकने, और युद्ध के नियमों को संहिताबद्ध करने के लिए दस्तावेजों को विस्तृत करना था। सुरक्षा सिद्धांत के आधार पर ही संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई थी जिसका मुख्य उद्देश्य सामूहिक सुरक्षा स्थापित करना था।
(i) लंदन सम्मेलन (जून 1941)- 12 जून 1941 को लंदन में ग्रेट ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, पोलैंड & दक्षिण अफ्रीका ने शांति एवं सुरक्षा की स्थापना के लिए एक संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए।
(ii) अटलांटिक चार्टर (14 अगस्त 1941) :– USA के फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट एवं ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल अटलांटिक महासागर में कहीं एक जहाज पर मिले एवं संयुक्त घोषणा की, जिसे अटलांटिक चार्टर कहते हैं, इसका उद्देश्य दोनों राष्ट्रों के अलावा अन्य राष्ट्रों के मध्य मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करना था।
(iii) संयुक्त राष्ट्र घोषणा (1-2 जनवरी 1942) :– वाशिंगटन DC में अमेरिका, ब्रिटेन, सोवियत संघ, चीन + धुरी राष्ट्रों के विरुद्ध लड़ने राष्ट्रों ने संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए | अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट के आग्रह पर धुरी राष्ट्रों से संघर्षरत राष्ट्रों को संयुक्त राष्ट्र नाम दिया गया। संयुक्त राष्ट्र शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग “Declaration by nations” में 1 जनवरी 1942 को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किया गया।
(iv) तेहरान सम्मेलन (नवंबर दिसंबर 1943 :– ईरान की राजधानी तेहरान में 1 दिसंबर 1943 को, इस सम्मेलन में ब्रिटेन व दोनों महाशक्तिया शामिल हुई।
USA | UK | (Russia) USSR |
फ्रैंकलिन डी रुजवेल्ट | विंस्टन चर्चिल | स्टालिन |
(राष्ट्रपति) | (PM) | (PM) |
(v) डम्बार्टन ओक्स सम्मेलन (अक्टूबर 1944) :- 21 अगस्त से 7 अक्टूबर 1944 वाशिंगटन में दो भागों में सम्मेलन आयोजित हुआ।
a) पहले भाग में ब्रिटेन रूस व अमेरिका के विदेश मंत्रियों ने भाग लिया।
b) दूसरा सम्मेलन 2 महीने बाद तीनों महान नेता (स्टालिन, रुजवेल्ट, चर्चिल) ने स्थाई शांति की स्थापना करने व उसको बनाए रखने का दृढ़ संकल्प प्रकट किया। दूसरी बार 7 अक्टूबर 1944 को रूस के स्थान पर चीन का प्रतिनिधि शामिल हुआ। 》》इस सम्मेलन ने UNO के प्रमुख अंगो की रूपरेखा तैयार की |
(vi) याल्टा सम्मेलन (4-11 Feb 1945) :- यह सम्मेलन क्रीमिया (यूक्रेन) में हुआ जिसमें तीनों महान नेता रुजवेल्ट, चर्चिल ,स्टालिन फिर शामिल हुए । इसमें उन बातों पर निर्णय लिया गया जिसमे डम्बार्टन ओक्स सम्मेलन में मतभेद था।
》》इसमें सुरक्षा परिषद (UNSC) के पांच स्थाई सदस्यों (USA, UK, Russia, China, France) पर निर्णय लिया गया व विशेषाधिकार (वीटो) पर भी निर्णय लिया गया।
(vii) सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन (25 अप्रैल – 26 जून 1945) :- इसमें 56 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया
अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने उद्घाटन किया | सम्मेलन की अध्यक्षता लॉर्ड हेलीफैक्स ने की |
भारत भी इसमें शामिल था (विदेश मंत्री गिरिजा शंकर वाजपेई)
दूसरे प्रतिनिधिमंडल में विजय लक्ष्मी पंडित ने भाग लिया |
26 जून 1945 को 50 देशों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए, कुछ माह बाद 15 अक्टूबर 1945 को पोलैंड 51वां मूल हस्ताक्षरकर्ता सदस्य बना | 10 फरवरी 1946 लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में UNO की महासभा की बैठक हुई |
संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन :-
मूल सदस्य 51 , वर्तमान समय में 193
स्थापना दिवस 24 अक्टूबर 1945 (भारत 30 अक्टूबर 1945 को शामिल हुआ)
8 अप्रैल 1946 राष्ट्र संघ (League of Nations) समाप्ति
19 अप्रैल 1946 सभी प्रतिनिधियों ने राष्ट्र संघ के अस्तित्व को समाप्त किया
मुख्यालय :-
USA के न्यूयॉर्क शहर (मैनहैटन द्वीप) में स्थित है, जबकि इसके कार्यालय नैरोबी (दक्षिण अफ्रीका) व विएना (ऑस्ट्रिया) में है
भवन- 39 मंजिला 17 एकड़ मे फैला हुआ है |
जमीन दानकर्ता- जॉन डी रॉकफेयर
भाषाएं :-
मान्यता प्राप्त आधिकारिक 6 भाषाएं है,
दो कार्यकारी भाषाएं चार आधिकारिक भाषाएं
(अंग्रेजी फ्रेंच) (चीनी रूसी अरबी स्पेनिश)
{महासभा सुरक्षा परिषद सामाजिक एवं आर्थिक परिषद की आधिकारिक भाषा के रूप में जोड़ी गई}
ध्वज :-
ध्वज को 7 दिसंबर 1946 को अपनाया गया हल्के नीले रंग की पृष्ठभूमि में उस पर श्वेत रंग से संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रतीक बना है जिसमें दो जैतून की वक्राकार शाखाएं हैं जो ऊपर से खुली है और उनके बीच विश्व का मानचित्र बना हुआ है |
मुहर :- आधिकारिक मुहर में विश्व का नक्शा जैतून की टहनियों से घिरा हुआ दिखाया गया है, इसे 1946 में महासभा ने स्वीकृत किया।
संयुक्त राष्ट्र संघ का चार्टर-
UNO चार्टर का प्रारूप 14 अगस्त 1941 को अटलांटिक चार्टर से तैयार किया गया
UNO CHARTER
111 Article, 19 अध्याय ,26 धाराएं , 10,000 शब्द शामिल
51 देशों ने हस्ताक्षर किए 24 अक्टूबर 1945 को लागू ।
चार्टर में संशोधन-
UNO के 2/3 बहुमत + UNSC के 5 सदस्यों का समर्थन से, इस चार्टर में अब तक 4 बार संशोधन हो चुके हैं।
(i) 1965 में सुरक्षा परिषद की कुल सदस्य संख्या 11 से बढ़ाकर 15 की गई (Art-23)
(ii) UNSC में सकारात्मक मतों की आवश्यक संख्या 7 से बढ़ाकर 9 की गई जिसमें पांच स्थाई सदस्यों की सहमति आवश्यक (Art-27)
(iii) 1965 में सामाजिक व आर्थिक परिषद की सदस्य संख्या 18 से बढ़ाकर 21 कर दी गई और 1973 में उसे और बढ़ाकर 54 कर दिया गया (Art-61)
(iv) सन 1968 में सुरक्षा परिषद चार्टर की समीक्षा के लिए आम सम्मेलन बुलाने के लिए आवश्यक मतों की संख्या 7 से बढ़ाकर 9 कर दी गई (Art-109)
संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य या प्रयोजन
यू एन ओ के अनुच्छेद 1 एवं प्रस्तावना में चार उद्देश्यों का उल्लेख है।
(i) अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना
(ii) आत्म निर्णय के सिद्धांतों के आधार पर देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों का विकास करना
(iii) सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक व मानव यह समस्याओं के निवारण हेतु अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना वह मजबूत करना धार्मिक व लैंगिक भेदभाव को समाप्त करना, मानव अधिकारों को प्रोत्साहन एवं मौलिक स्वतंत्रता के सम्मान को बढ़ावा देना
(iv) सामूहिक उद्देश्यों की प्राप्ति में & उनके कार्यों में समन्वय बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ को केंद्र मानना
इसके अलावा यूएनओ के प्रयोजन में दो लक्ष्य भी निर्धारित किए गए हैं – नि:शस्त्रीकरण एवं नई आर्थिक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था
कैल्सन के अनुसार यूएनओ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य विश्व शांति की स्थापना है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांत- Art-2 of UN Charter
(i) Art-2(1) – UNO सभी राष्ट्रों की समानता एवं संप्रभुता के सिद्धांत पर अवलंबित है
(ii) Art-2(2) – UNO के सभी सदस्य यूएन चार्टर में वर्णित उत्तरदायित्व का सद्भावना पूर्ण निर्वहन करेंगे
(iii) Art-2(3) – सभी सदस्य राज्य अपने अंतरराष्ट्रीय झगड़ों को शांतिपूर्ण ढंग से समझाएंगे
(iv) Art-2(4) – कोई भी सदस्य राज्य किसी दूसरे की स्वतंत्रता एवं प्रादेशिक अखंडता का अतिक्रमण नहीं करेंगे
(v) Art-2(5) – कोई भी राज्य चार्टर के विरुद्ध कार्य करने वाले राज्य की सहायता नहीं करेंगे
(vi) Art-2(6) – UN संस्था इस बात देखेगी की गैर सदस्य कोई ऐसा कार्य नहीं करें जिससे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ जाए अर्थात गैर सदस्य राज्यों का चार्टर के अनुसार कार्य करना
(vii) Art-2(7) – UNO किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा
उपरोक्त प्रारंभिक पांच सिद्धांत UNO के सदस्यों के लिए निर्देशित है जबकि अनुच्छेद 2(6) एवं 2(7) में वर्णित सिद्धांत UNO के लिए निर्देशित है
संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता-
अनुच्छेद 3 से 6 तक दो प्रावधान है
(1) प्रारंभिक/मूल सदस्यता– चार्टर के अनुच्छेद 3 के अनुसार वे सदस्य जिन्होंने सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में 26 जून 1945 को चार्टर पर हस्ताक्षर किए और जिन्होंने अनुच्छेद 110 के अनुसार आवश्यकतानुसार इसकी संपुष्टि भी कर दी थी वह UNO के मूल सदस्य कहलाए; 51 मूल सदस्य थे, भारत भी मूल संस्थापक सदस्यों में गिना जाता है (30 अक्टूबर 1945)
(2) अर्जित सदस्य देश/नए सदस्य देश– मूल सदस्यों के अलावा देशों हेतु UNO के अनुच्छेद 4 के प्रावधानों के अनुसार नए सदस्यों को सुरक्षा परिषद के पांचों स्थाई सदस्यों की संस्तुति के साथ UNSC का सकारात्मक समर्थन (15 में से 9 सदस्य द्वारा अनुमोदन) के साथ ही महासभा को दो तिहाई बहुमत से प्रवेश दिया जा सकता है बशर्ते वे अनुच्छेद 4 की निम्न शर्ते पूर्ण करें-
(i) आवेदन कर्ता देश संप्रभुता संपन्न देश होना चाहिए उपनिवेश नहीं
(ii) आवेदन करता राज्य शांतिप्रिय होना चाहिए
(iii) देश यूएनओ के चार्टर द्वारा निर्धारित दायित्वों को स्वीकार करें
इसी आधार पर
193 वे सदस्य के रूप में दक्षिणी सूडान (14 जुलाई 2011)
192 वें सदस्य बाल्कन राष्ट्र मोंटेनीग्रो (28 जून 2006)
191 सदस्य पूर्वी तिमोर (26 दिसंबर 2002) को मान्यता मिली
सदस्यता का निलंबन- Art-5 अनुसार सुरक्षा परिषद द्वारा जिन देशों के विरुद्ध निरोधात्मक दंडात्मक कार्यवाही की गई है वह महासभा द्वारा यूएनएससी की सिफारिश पर दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करके सदस्यता निलंबित कर सकती है| 22 सितंबर 1992 को पूर्वी युगोस्लाविया को सुरक्षा परिषद की सदस्यता से निलंबित किया गया था & 2 नवंबर 2000 को नए लोकतांत्रिक युगोस्लाविया को पुनः मान्यता दी गई
सदस्यता की समाप्ति- – यद्यपि सदस्यता की समाप्ति (प्रत्याहार) का कोई प्रावधान नहीं है फिर भी इंडोनेशिया ने 1965 में सदस्यता समाप्त कर ली मगर एक साल बाद पुनः ले ली
सदस्यों का निष्कासन- यूएन चार्टर के अनुच्छेद 6 के अनुसार यूएनओ के किसी भी सदस्य को चार्टर के सिद्धांतों के निरंतर उल्लंघन करने पर सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासभा द्वारा निष्कासित किया जा सकता है यूएनएससी के 9 सदस्य जिसमें पांच स्थाई सदस्य अवश्य सहमति प्रकट करें एवं महासभा से दो तिहाई बहुमत से पारित करें {अनुच्छेद-18(2)}
संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग-
(Organs of UNO)

UN चार्टर के तीसरे अध्याय के अनुच्छेद 7 के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र संघ के निम्न 6 अंग है
- महासभा (UNGA- United Nations general assembly)
- सुरक्षा परिषद (UNSC)
- आर्थिक व सामाजिक परिषद (E&SC)
- न्यास परिषद (Trusteeship)
- अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ- International court of Justice)
- सचिवालय ( The Secretariate )
(1.) महासभा- महासभा इसे विश्व की लघु संसद भी कहा जाता है इसमें सभी सदस्य देशों (193) के प्रतिनिधि शामिल होते हैं । एक देश अधिकतम पांच सदस्य भेज सकता है परंतु उसका वोट सिर्फ एक ही होता है, सभी देशों का वोट समान महत्व (प्रभाव) रखता है । महासभा सभी विधाय कार्य संपादित करती है, महासभा एक विचार विमर्श निकाय है जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ तथा विशिष्ट अभिकरण के संबंध में विचार-विमर्श, अन्वेषण, पर्यवेक्षण तथा आलोचना की शक्ति प्राप्त है । सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों जैसे शांति एवं सुरक्षा से जुड़े मुद्दे, नए सदस्यों को प्रवेश एवं बजट निर्णय के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है । महासभा का वर्णन UN चार्टर के अध्याय 4 में अनुच्छेद 9 से 22 में किया गया है ।
महासभा का अधिवेशन- नियमित सत्र वर्ष में एक बार सितंबर के तीसरे मंगलवार से दिसंबर मध्य तक चलता है इसके अलावा सुरक्षा परिषद के आह्वान पर इसकी आपात बैठक कभी भी 24 घंटे की सूचना पर बुलाई जा सकती है अधिवेशन में महासभा प्रत्येक सत्र की शुरुआत में नए अध्यक्ष एवं 21 उपाध्यक्ष तथा महासभा के 7 मुख्य समितियों के अध्यक्षों का चुनाव जो अधिवेशन की समाप्ति पर्यंत रहते हैं महासभा UNSC के 10 अस्थाई सदस्यों एवं अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का चुनाव किया जाता है । >> महासभा की 74वीं में बैठक में 2020-21 हेतु नाइजीरिया के तिजानी मोहम्मद बंदे को अध्यक्ष चुना गया है
महासभा की समितियां-
(i) प्रथम समिति- नि:शस्त्रीकरण एवं अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा
(ii) द्वितीय समिति- आर्थिक एवं वित्तीय
(iii) तृतीय समिति- सामाजिक मानवीय एवं सांस्कृतिक
(iv) चौथी समिति- विशेष राजनीतिक एवं औपनिवेशिक स्वाधीनता
(v) पांचवी समिति- प्रशासनिक एवं आय व्यय विषयक
(vi) छठी समिति- कानूनी या विधिक समिति
महासभा के कार्य एवं शक्तियां- चार्टर के अनुच्छेद 10 से 17 तक उल्लिखित
(i) विमर्शकारी कार्य
(ii) आर्थिक कार्य
(iii) पर्यवेक्षण संबंधी कार्य
(iv) संवैधानिक कार्य
(v) निर्वाचन संबंधी कार्य
(vi) विधाई कार्य
महासभा के कार्यों का वितरण-.
(i) अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सहयोग करना
(ii) संयुक्त राष्ट्र संघ का बजट पारित करना- (अनुच्छेद 17(1) के तहत UNO का नियमित बजट महासभा प्रत्येक अगले वर्ष अनुमोदित किया जाता है जिसे महासचिव द्वारा पेश किया जाता है । बजट 16 सदस्य “The advisory committee on administrative and budgetary questions” के समक्ष पेश किया जाता है । सदस्य राष्ट्रों द्वारा दी जाने वाली राशि का निर्धारण “The committee on contribution” द्वारा किया जाता है ।
(iii) संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा रिपोर्ट प्राप्त करना एवं उन पर विचार करना ।
(iv) निर्वाचन एवं नियुक्ति संबंधी:- UNSC की संस्तुति पर महासभा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के 15 न्यायाधीशों, UNSC के 10 अस्थाई सदस्यों, यूनेस्को के 54 सदस्यों का निर्वाचन, नए सदस्य देशों को सदस्यता, निलंबन पर विचार करती है, महासचिव की नियुक्ति व बजट पारित करने के कार्य करती है एवं अनुच्छेद 86(1) के तहत न्यासी परिषद के सदस्यों का निर्वाचन ।
(v) अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक सहयोग को प्रोत्साहन- अंतर्राष्ट्रीय विधि के विकास एवं संहिताकरण, सभी के लिए मानव अधिकार व बुनियादी सुविधाओं की प्राप्ति, सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक शैक्षणिक & स्वास्थ्य के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहभागिता सुनिश्चित करना।
(vi) राष्ट्रों के मैत्री संबंधों को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी परिस्थिति पर शांतिपूर्ण समाधान के लिए सिफारिशें करना।
(2.) सुरक्षा परिषद-
1965 से पूर्व सुरक्षा परिषद:- 11 सदस्य (5 स्थाई & 6 अस्थाई)
वर्तमान में सुरक्षा परिषद :- 15 सदस्य (5 स्थाई & 9 अस्थाई)
सुरक्षा परिषद एक प्रकार से कार्यपालिका है, यूएन चार्टर के आर्टिकल 4 के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखना सुरक्षा परिषद की मुख्य जिम्मेदारी है इसीलिए एक मुहावरे के रूप में इसे दुनिया का पुलिसमैन भी कहा जाता है ।
प्रक्रिया संबंधी विषयों पर निर्णय हेतु UNSC के सकारात्मक सहमति अर्थात 15 में से कुल 9 वोट चाहिए जिसमें पांच स्थाई सदस्यों सभी की सहमति जरूरी है एवं चार अस्थाई की । पांच स्थाई सदस्यों की सहमति महा शक्तियों की सर्व अनुमति का नियम है जिसे अक्सर वीटो पावर कहते हैं।
पांच स्थाई सदस्य है – अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन।
कोई स्थाई सदस्य किसी निर्णय का समर्थन नहीं करता है तथा उस निर्णय को रोकना वीटो भी नहीं चाहता है तो वह मतदान प्रक्रिया के दौरान अनुपस्थित रह सकता है।
सोवियत संघ ने अब तक सर्वाधिक बार वीटो का प्रयोग किया है।
सोवियत संघ 120 बार
अमेरिका 77 बार
ब्रिटेन 32 बार
फ्रांस 18 बार
चीन 5 बार वीटो पावर का इस्तेमाल कर चुका है।
सुरक्षा परिषद के कार्य एवं अधिकार-
(i) संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांतों एवं को देशों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना
(ii) अंतरराष्ट्रीय संघर्ष की ओर प्रवृत्त करने वाले किसी भी विवाद या परिस्थिति की जांच करना एवं ऐसे विवादों को निपटाने के उपायों व समाधान की शर्तों की सिफारिश करना
(iii) शस्त्रीकरण के नियमन के निमित्त एक प्रणाली की स्थापना के लिए योजनाएं बनाना
(iv) शांति स्थापना के लिए आक्रमण करता के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही करना
(v) अति महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्थित राष्ट्र के न्यासी कार्य (Trusteeship) को संपादित करना
(vi) महा सचिवों की नियुक्ति महासभा को सिफारिश करना एवं महासभा के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का चुनाव करना।
(3.) आर्थिक एवं सामाजिक परिषद-
यह विश्व की कल्याण परिषद कहलाती है, UN एवं विशेष एजेंसियों तथा संस्थाओं के सामाजिक आर्थिक कार्यों में समन्वय स्थापित करने वाला मुख्य अंग है । इसके अलावा समाज के गरीब, निरक्षर तथा असहाय लोगों की सहायता करती है । यूएन चार्टर के अनुच्छेद 62 & 63 में पहले सदस्य संख्या 18, 1965 में 21 & 1973 से आज तक 54 सदस्य हैं।
अफ्रीका- 14
दक्षिण अमेरिका- 10 सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है
पश्चिमी यूरोप- 13 एक तिहाई सदस्य प्रतिवर्ष बदलते रहते हैं,
पू. यूरोप- 6 परंतु अवकाश ग्रहण के बाद पुनः निर्वाचित हो सकते हैं
एशिया- 11
इसकी दो बैठकें होती है अप्रैल- न्यूयॉर्क में & जुलाई- जेनेवा में
परिषद में सहायक तंत्रों में 9 कार्यशील आयोग & विचार विमर्श वाले निकाय है व पांच स्थाई समितियां हैं, यह परिषद संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम जैसे UNDP, UNEP, UNICEF, UNFPA आदि तथा विशेष एंजेसियो जैसे FAO, WHO, ILO, UNESCO के कार्य में सहायता करती है ।
आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के कार्य एवं अधिकार-
(i) अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं सामाजिक विषयों पर विचार-विमर्श तथा सदस्य देशों एवं सूत्र राष्ट्र प्रणाली के लिए नीतिगत सिफारिशें तैयार करने के लिए एक केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य करना
(ii) अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक शैक्षणिक स्वास्थ्य संबंधित विषयों पर अध्ययन एवं प्रतिवेदन तैयार करना
(iii) मानवाधिकार एवं बुनियादी स्वतंत्रता के प्रति आदर एवं उनके अनुपालन को प्रोत्साहित करना
(iv) विशेषित एजेंसियों के कार्यों में समन्वय स्थापना राष्ट्र संघ के सदस्यों को आर्थिक सहायता एवं तकनीकी परामर्श देना
(v) स्वतंत्रता समानता एवं मानवाधिकारों हेतु सघन कार्य करना ।
(4.) न्यास परिषद –
विश्व मैं ऐसे प्रदेश जहां पूर्ण स्वायत्त शासन नहीं है वहां के निवासियों के हितों के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रन्यास व्यवस्था स्थापित की गई । न्यास पद्धति का मूल सिद्धांत यह है कि इस समय कुछ पिछड़े हुए अल्प विकसित एवं आदिम दशा वाले प्रदेशों के निवासी इस योग्य नहीं है कि वे अपने देश का शासन स्वयं कर सके अतः ऐसे देशों के लिए UN चार्टर के अध्याय 12 में अनुच्छेद 75 से 85 तक अंतरराष्ट्रीय न्याय व्यवस्था का उल्लेख है और अध्याय 13 में अनुच्छेद 86 से 91 तक न्यास परिषद की रचना, शक्तियों व कार्यविधि आदि का वर्णन है । वर्तमान में सभी क्षेत्रों के स्वतंत्र हो जाने से नवंबर 1994 को न्यास परिषद ने अपना संचालन निलंबित कर दिया । आखिरी ट्रस्ट राज्य क्षेत्र पलाउ था जो UN का 185वां सदस्य बना । ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका व ब्रिटेन को न्यासी परिषद का काम सौंपा गया था । प्रन्यास परिषद में 12 सदस्य थे।
(5.) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय-
यह संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्य न्यायिक अंग है । अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का पृथक संविधान है जिसमें 5 अध्याय व 70 अनुच्छेद है; साथ ही संयुक्त राष्ट्र चार्टर के विभिन्न प्रावधान भी इसकी संविधि का आधार है । यूएन चार्टर के अध्याय 14 में अनुच्छेद 92 से अनुच्छेद 96 तक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय संबंधी प्रावधान है । अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना 3 अप्रैल 1946 को
द हेग (नीदरलैंड) में हुई । सदस्य देशों के आपसी मुद्दों को सुलझाने एवं संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेंसियों को न्यायिक परामर्श देना। कुल न्यायाधीश- 15
कार्यकाल 9 साल
प्रति 3 वर्ष एक तिहाई अवकाश ग्रहण करते हैं इनका निर्णय बाध्यकारी नहीं होता है
कोरम 9 न्यायाधीश
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का क्षेत्राधिकार-
(i) ऐच्छिक क्षेत्राधिकार- ऐसे विवाद जिन्हें दोनों पक्ष आपसी सहमति से न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करते हैं
(ii) अनिवार्य क्षेत्राधिकार- यदि कोई राज्य स्वयं घोषणा करके किसी क्षेत्र में ICJ के आवश्यक क्षेत्राधिकार को स्वीकारें
(iii) परामर्शात्मक क्षेत्राधिकार- महासभा या सुरक्षा परिषद किसी कानूनी मामले पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से सलाह ले सकते हैं
ICJ में भारतीय न्यायाधीश एवं उनका कार्यकाल
1952 से 1953 | बेनेगल रामा राव | ||
1973 से 1988 | नगेंद्र सिंह | 1976 से 79 उपाध्यक्ष | 1985 से 1988 अध्यक्ष |
1989 से 91 | रघुनंदन पाठक | ||
2012 से लगातार | दलबीर भंडारी | दूसरी बार भी चयन |
(6.) सचिवालय-
यह UNO का प्रशासनिक कार्यालय है । सचिवालय का प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी महासचिव होता है जिसे महासभा द्वारा सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर 5 वर्ष की अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है। यह पद USA के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट की देन है, पुनः नियुक्ति संभव है । सचिवालय का मुख्यालय न्यूयॉर्क (अमेरिका) में है, अन्य कार्यालय जेनेवा, वियना एवं नैरोबी में स्थित है । यह यूएन के रोजमर्रा के कार्यो को निपटाने का कार्य करता है। यह यूएन के प्रमुख पांचों अंगों की सेवा करने के साथ-साथ उनके द्वारा निर्धारित किए गए कार्यक्रमों एवं नीतियों को लागू करता है।
सचिवालय के 8 विभाग होते हैं — UN के आर्थिक विभाग, सामाजिक कार्यों के विभाग, सार्वजनिक सूचना, न्याय व स्वशासित विभाग, प्रशासनिक व वित्तीय विभाग, विधि विभाग।
पहले महासचिव – त्रिग्वेली (नार्वे)
9th वर्तमान महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (पुर्तगाल)
संयुक्त राष्ट्र संघ की विभिन्न संस्थाओं के कार्यालय-

UNESCO – 4 Nov 1946 > पेरिस (फ्रांस)
WPO(UPU)- सार्वभौम डाक संघ > बर्न (स्वीटजरलैंड)
>वियना (आस्ट्रिया) मे विनाश से संबंधित संगठनो के मुख्यालय है जैसे – IAEA– परमाणु ऊर्जा, CTBT– परीक्षण निषेध,OPEC-पेट्रोलियम निर्यातक & UNIDO– औद्योगिक विकास
> हेग (नीदरलैंड) जिसे शांति शहर के नाम से भी जाना जाता है मैं शांति स्थापित करने वाले संगठनों के मुख्यालय है जैसे- ICJ– International court of Justice, ICC– international criminal court, OPCW– organisation for prohibition of chemical weapon.
>खेती व खाना से संबंधित संगठनो के मुख्यालय रोम (इटली) मे है जैसे- FAO – संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन, IFAD- अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष
ICAO– Civil aviation- Montreal (Canada), WPO(UPU)- सार्वभौम डाक संघ > बर्न (स्वीटजरलैंड)
IMO- अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक संगठन का मुख्यालय लंदन(UK) जबकि WMO-विश्व मौसम विज्ञान संगठन का मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) मे है
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