सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology— ICT)
Admin Comment: श्री नरेंद्र सिंह (झुंझुनूं) का आर्टिकल जो आरएएस (RAS), सिविल सेवा तथा राजस्थान एवं भारत की विभिन्न परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।
श्री नरेंद्र सिंह (झुंझुनू) का आर्टिकल जो आरएएस (RAS), सिविल सेवा तथा राजस्थान एवं भारत की विभिन्न परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।
दो या दो से अधिक माध्यमों के बीच सूचना या संदेश का आदान-प्रदान संचार कहलाता है।
-भारत में सर्वप्रथम 1881-82 में कोलकाता में हुई थी।
-पहला टेलिफोन एक्सचेंज – शिमला (1913-14)
संचार की विधि :
1) point to point communication :सूचना को किसी एक निश्चित स्थान से प्रेषित कर किसी निश्चित स्थान पर प्राप्त किया जाता है। E.g. telephone, mobile
2) Broadcast (संचारण): एक स्थान से सूचना को कई जगह प्राप्त किया जाता है।
3)NFC (Near field communication): यह बहुत कम क्षेत्र के लिए प्रयोग होता है। जहां युक्तियां 10 सेंटीमीटर या इससे भी कम दूरी पर होती है।-यह संपर्क रहित तकनीक है।-विद्युत चुंबकीण क्षेत्र का प्रयोग।-banking sector में secure transaction में।
संचार तंत्र के अवयात:A)
प्रेषित (transmitter): सिग्नल को संसाधित करके चैनल से होकर अभीग्रहण के लिए उपयुक्त बनाता है। Eg. ट्रांसयूजर्स, माड्यूलेटर, एंटीना
Trancefire -ऐसी युक्ति जो ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित कर देती है।
Amplifier: जो विद्युत धारा की (वोल्टेज या धारा) का आयाम बदल दे।
B) सिग्नल – वैद्युत रूप से रूपांतरित सूचना।
C)रव (Noise)- इसका तात्पर्य उन अवांहित सिग्नलों से है जो संचार व्यवस्था में व्यवधान पैदा करें।
D) अभी ग्राही (receiver)E) चैनल -एक ऐसा भौतिक माध्यम है जो प्रेषक तथा अभी ग्राही को संयोजित करता है।
संचार के प्रकार :
1) संकेत आधारित ।
एनालॉग-तरंगों के विभव और धारा में लगातार परिवर्तन होता है।
डिजिटल-धारा व विभव के मान में निश्चित अनुपात में ही परिवर्तन होता है।
2) माध्ययम आधारित
तार सहित-खुले तार युग्म ,को- एक्सयिल केबल , प्रकाशीय तंतु
तार रहित- आकाशीय तरंगे, अंतरित तरंगे, भोम तरंगे , ब्लूटूथ वाईफाई LI-FI.
A) खुले तार युग्म (open wire)-कुचालक ओ की परतें चढ़े तांबे के दो तार होते हैं। जो दो समांतर चालकों के रूप में कार्य करते हैं।-आंकड़ों के संप्रेक्षण की दर अव्यंत धीमी होती है। लेकिन रिपीटर की जरूरत होती है
B) कोएक्सियल केबल-तांबे का तार चालक के रूप में लेकिन वह वाहय अवरोध अधिक होता है अर्थात को चालकों की परत चढ़ी होती है।उदा. टीवी , केबल।
C) प्रकाशीय ततू (optical fibre)- (कांच अथवा सिलिका के पतले रेशे) *पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य। *संकेतों को पहले प्रकाशीय संकेतों में बदला जाएगा। *प्रकाश की गति अधिक (संचारण में बाधा कम ऊर्जा ख्याल कम)। *एक केबल में 24 तंतु से.. चैनल स्थापित किए जा सकते हैं। *विद्युत की गति प्रकाश की गति का 66% होती है।
-ve: रख रखाव चुनौतीपूर्ण उच्च प्रबंधन की जरूरत M.p पहला राज्य – optical fibre
*Bluetooth (ब्लूटूथ)- 1994 जाप हार्टसन-रेडियो एवं अतिरिक्त वर्गों की सहायता से संचार स्थापित-आवृत्ति लगभग-2.4GHz-यह 30 फीट तक कार्य करता है।
WI-FI-.(1991 मैं NCR कॉरपोरेशन एंड AT&T कम्युनिकेशन द्वारा)-रेडियो तरंगों पर आधारित तकनीक जो LAN की अवधारणा पर आधारित।-रेडियो संकेत की आवृत्ति-2.4GHz-300 फीट तक के क्षेत्र के लिए(max-100mtr.)-privacy less पहला शहर-कोलकाता, पहली तहसील-खोडाब्रह्मा, स्मारक-ताजमहल।
White-FI तकनीक:-white- fi तकनीक टीवी के प्रसारण के लिए उपयोग किए जाने वाले स्पेक्ट्रम में अप्रयुक्त आवृत्ति ओ का उपयोग करती है।- अप्रयुक्त स्पेक्ट्रम को व्हाइट स्पेस या टीवी व्हाईट स्पेस कहा जाता है।-भारत में माइक्रोसॉफ्ट के साथ करार।-200 – 300MH2 आवृत्तियो की मदद से 10 किलोमीटर तक वाईफाई तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। (टीवी में 200 -600MH2 तक)।-सौर ऊर्जा पर भी कार्य करती है। डिजिटल इंडिया में भागीदारी होगी।-पहला प्रयोग -RRT Bangalore
Wi MAX : (world wide interoperability for microwave)-लंबी दूरी तक वायरलेस संचार स्थापित करने में सहायक।-यह इंटरनेट और सेल्यूलर दोनों नेटवर्क पर काम करता है।-यह 10 किलोमीटर तक समान गति से नेटवर्क देता है।-सूल्म तरंग आधारित।-कंप्यूटर- दूसरे कंप्यूटर से बिना तार जुड़ सकेगा।
*Li -Fi (light fidelity):-वाईफाई से 100 गुना तेज।-visible light communication (VLC) का उपयोग किया जाता है।
D.T.H (DIRECT TO HOME)-टीवी तथा उपग्रह के बीच किसी ट्रांसमीटर की जरूरत नहीं।-KV banel पर आधारित सेवा (11-15GHz)- 35 – 40 सेंटीमीटर व्यास वाले एंटीना की मदद से संकेत प्राप्त।-डिजिटल संकेतों का उपयोग इसलिए मौसमी व्यवधान से मुक्त।
*GSM (GLOBAL SYSTEM FOR MOBILE):-बिना फोन बदले विभिन्न सेवा प्रदान कंपनियों का लाभ लिया जाता है।-900 -1800 MHz पर काम।
*CDMA(Code division multiple access):(800MHz)-सिम का प्रयोग किए बिना मोबाइल सेवा प्रदान की जाती है।-सूचनाएं फोन में पहले से प्रोग्राम।-विभिन्न सिग्नल एक ही ट्रांसमिशन चैनल से गुजरते हैं। * ध्वनितथा आंकड़ों की गुणवत्ता घटिया
*TDMA(Time division multiple access)-आवृत्ति स्पेक्ट्रम के साथ दो समय को भी चैनलों में विभाजित कर दिया जाता है।-digital compression के माध्यम से वॉइस 10kb/10KH2/sec में पहुंच जाती है।-digital dector के अनुसार परिवर्तित नहीं करता।
*FDMA(frequency division multiple access)-analogue Cellular network में होता है।-प्रत्येक चैनल 30KH2 का होता है।
*Bandwidth: Band की अधिकतम तथा न्यूनतम आवृत्ति के बीच अंतर इसे प्रति सेकंड में अभिव्यक्त कर संचार चैनल की क्षमता की माप के रूप में प्रयुक्त होता है।
Bluetooth 2.4GH2 , Wi-Fi- 2.4GH2-5GH2 , white fi-200-300 , T.V- 200-600GH2 , DTH- 11-15 GH2 , mobile- 300-…GH2
*Mobile phone technology: मोबाइल फोन तकनीक:-रेडियो संकेतों को ट्रांसमिशन टावर ,एंटीना एवं उपग्रह द्वारा भेजा जाता है।-मोबाइल अपने सेल नेटवर्क से विद्युत चुंबकीय तरंगों की सहायता से जुड़ा रहता है।-मोबाइल सेवा में माइक्रोवेव (सूज्म) तरंगों की एक निश्चित आवृत्ति का प्रयोग होता है।-300 MH2 से 30GH2 संकेत का उपयोग।-‘मोटरोला’ कंपनी के GM ‘मार्टिन कूपर’ को अविपकार्यकर्ता माना जाता है।-भारत में सबसे पहले 1995 में कोलकाता में मोदी टेलेस्ट्रा नेटवर्क ने सेवा शुरू की।
*Mobile phone Genaration :
1G – analogue संचार नेटवर्क , bandwidth कम -1981 में शुरुआत, 2.4 Kb/PS speed -उपकरण बड़े कार पर बंधे होते थे। -ओन्ली फॉर वॉइस एंड टेक्स्ट में उपयोग। -देश के भीतर ही सेवा।
2G-digital संकेत आधारित नेटवर्क -इंटरनेट स्पीड 144 KBPS -अंतर्राष्ट्रीय सेवाएं उपलब्ध करवाता है। – 200 KH2 bandwidth
3G – Bandwidth 15-16MH2(bandwidth x net speed) -maximum internet speed – 2MBPS -आवाज के साथ डांटा आदान-प्रदान। -प्रथम मोबाइल ब्रॉडबैंड।
4G – 2011 से शुरुआत -आईपी आधारित -मैक्सिमम स्पीड – 100mbps – LAN आधारित सेवा। – 3G की तुलना में सस्ता।
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