साक्षात्कार: एक परिचय (Interview: An Introduction)

Admin Comment: श्री सुरेंद्र कंबोज (हनुमानगढ़) का आर्टिकल जो आरएएस (RAS), सिविल सेवा तथा राजस्थान एवं भारत की विभिन्न परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।

साक्षात्कार नौकरी हेतु चयन का एक महत्वपूर्ण अंग है। हमारे दैनिक जीवन में हम अनेक बार इस प्रक्रिया से गुजरते हैं लेकिन हमें इसका आभास ही नहीं होता है। जैसे हम किसी डॉक्टर के पास जाते हैं या स्कूल कॉलेज में जाते हैं तो हमें बातचीत के माध्यम से नाम, पता, कार्य या अन्य पहलुओं के बारे में पूछा जाता है। ये सभी साक्षात्कार ही हैं। इनका जवाब देने के लिए हमें विशेष तैयारी की जरूरत नहीं पड़ती है और न ही हमें तनाव होता है। लेकिन जब हम किसी नौकरी या संस्थान में प्रवेश हेतु दिए जाने वाले साक्षात्कार की बात करें तो यह पूरी तरह औपचारिक होता है व इसके लिए हमें अभ्यास की आवश्यकता भी होती है।

साक्षात्कार का अर्थ

सामान्य अर्थ में साक्षात्कार किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच होने वाली वह अंतःक्रिया या वार्तालाप है जिसमें किसी व्यक्ति की किसी पद के लिए उपयुक्तता की जांच करने के लिए प्रश्न पूछे जाते हैं।
साक्षात्कार के उद्देश्य एवं महत्वकिसी उम्मीदवार को परखना, उसकी बौद्धिक क्षमताओं, सामाजिक व पारिवारिक पृष्ठभूमि तथा उसके व्यक्तित्व का आकलन करना इत्यादि साक्षात्कार के मुख्य उद्देश्य होते हैं। इसके द्वारा व्यक्ति के मानसिक संतुलन व उसकी आवश्यकताओं की भी परख हो जाती है। लिखित परीक्षा द्वारा प्रत्याशी के केवल एक पक्ष की जांच हो पाती है, जबकि साक्षात्कार के द्वारा उसके संपूर्ण व्यक्तित्व का आकलन संभव है। साक्षात्कार अभ्यर्थी को स्वयं को सर्वोत्तम तरीके से प्रस्तुत करने का अवसर देता है।

कैसे करें साक्षात्कार की तैयारी

साक्षात्कार में प्रत्याशी के व्यक्तित्व की प्रमुख भूमिका होती है। प्रत्याशी की बौद्धिक क्षमता एवं विषय ज्ञान के समान ही व्यक्तित्व भी किसी पद पर अंतिम रूप से चयन में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

व्यक्तित्व में पैतृक रूप से प्राप्त व्यवहारिक गुणों के साथ-साथ अर्जित गुण भी शामिल होते हैं। यह व्यक्ति के विचारों, भावनाओं, दृष्टिकोण और व्यवहार आदि का एक अद्भुत संगम होता है। व्यक्तित्व का विकास लंबी अवधि में होता है, जिसमें तुरंत परिवर्तन नहीं किया जा सकता। अतः किसी भी प्रत्याशी को अपनी मौलिकता को बनाए रखना चाहिए। सामान्यतः देखा गया है कि प्रत्याशी किसी के कहने पर अपने मौलिक व्यक्तित्व को ही बदलने का असंभव-सा प्रयास करते हैं, इस कारण वे साक्षात्कार में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते।

साक्षात्कार की तैयारी के दौरान खुद को सकारात्मक, संवेदनशील व धैर्यवान बनाने का प्रयास करें। इसके लिए आवश्यक है कि किसी भी प्रश्न का जवाब देने से पहले तुरंत उत्तर न दें।  4 – 5 सेकंड रुककर एवं उस विषय पर मनन कर जवाब देना चाहिए। आप जब इस तरह से अपने सामने आने वाले सवालों का जवाब देते हैं और 15 – 20 दिन अभ्यास करते हैं तो यह आपके व्यवहार में शामिल हो जाता है। इससे आप सकारात्मक व प्रभावी जवाब देने में सक्षम हो जाते हैं, साथ ही सामने वाले व्यक्ति को भी आपकी संवेदनशीलता का आभास होता है। 

साक्षात्कार बोर्ड के समक्ष सीधे प्रस्तुत होने से पूर्व जमकर मानसिक रिहर्सल करना आवश्यक है। इसके लिए आप दर्पण के सामने नियमित अभ्यास करें, अपने दोस्तों के साथ ग्रुप बनाकर या फिर किसी कोचिंग संस्थान में शामिल होकर मॉक इंटरव्यू करें। इससे आपकी झिझक समाप्त होगी और आत्मविश्वास के साथ साक्षात्कार बोर्ड का सामना कर पाएंगे।

साक्षात्कार के दौरान सावधानी हेतु विशेष बातें साक्षात्कार की तैयारी सिर्फ तथ्यों की जानकारी नहीं वरन किसी विषय या मुद्दों की आलोचनात्मक तथा विश्लेषणात्मक समझ पैदा करना है। साक्षात्कार में तथ्यपरक व विश्लेषणात्मक प्रश्न पूछे जाते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आप सभी प्रश्नों का जवाब दें। यह तो बोर्ड सदस्यों को भी पता होता है कि कोई भी व्यक्ति तथ्यों का संपूर्ण ज्ञान अर्जित नहीं कर सकता। इसलिए ऐसे समय यदि आपको किसी तथ्य की जानकारी नहीं है तो आप ‘सॉरी’ कह सकते हैं और धैर्य बनाए रखें। किसी तथ्य की जानकारी आपको न होने पर आप विचलित हो सकते हैं या गलत तथ्य की बना सकते हैं, पर इससे बचा जाना अत्यंत आवश्यक होता है। पर यदि किसी विषय या मुद्दे पर आपकी राय पूछी जाती है तो ऐसी स्थिति में सॉरी कहना उचित नहीं होगा, क्योंकि आप में विश्लेषण क्षमता का होना अत्यंत आवश्यक है, अतः सहजता के साथ अपने विचार रखें। ऐसी स्थिति में यदि आप साक्षात्कारकर्ता के किसी विचार से असहमति रखते हैं तो स्पष्टतया उनकी बात को गलत ठहराने के बजाय इस तरह से अपनी बात शुरु कर सकते हैं— “मैं आपके विचारों की कद्र करता हूं पर मेरा मानना है कि…” इससे साक्षात्कारकर्ता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आप अपने विचारों को थोपने की कोशिश न करें और न ही सामने वाले की बात को बीच में काटें। पहले उनकी बातों को अच्छी तरह सुन लें, फिर अपने विचार रखें।

साक्षात्कार के दौरान आपके उत्तर में ईमानदारी होनी चाहिए। बोर्ड के सदस्य काफी अनुभवी व विषय पारंगत होते हैं, अतः आप उनको धोखा देने की कोशिश करेंगे तो असफलता ही हाथ लगेगी। इससे बेहतर है कि आप विनयशील रहें जिससे आपकी प्रभावशीलता में वृद्धि होगी। आप उत्तर देने से पहले प्रश्न को पूरा सुनें और समझें तथा यदि आपको  कोई संशय हो तो उसे पुनः पूछने में झिझकें नहीं। आप इस दौरान आत्मसम्मान व आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहें। आपके द्वारा कही गई बात और आपकी शारीरिक हाव-भाव में उचित संतुलन हो।

क्योंकि केवल 20-30 मिनट में बोर्ड आपके व्यक्तित्व का आकलन करता है अतः आप अपने व्यक्तित्व के सर्वश्रेष्ठ रूप को सामने लाएं। इसके लिए निम्नलिखित बिंदुओं का ध्यान रखना आवश्यक है— 

  • साक्षात्कार के लिए अत्यधिक भड़कीले या फैशनेबल परिधान पहनकर न जाएं। जहां तक संभव हो उचित औपचारिक वस्त्रों का ही उपयोग करें।
  • साक्षात्कार के लिए निर्धारित समय से पहले ही पहुंच जाएं ताकि किसी प्रकार की हड़बड़ाहट न हो।
  • अनावश्यक व्यवधान उत्पन्न करने वाले साधनों को बोर्ड में न ले जाएं।
  • साक्षात्कार कक्ष के दरवाजे को नॉक किए बिना अंदर प्रवेश न करें। कक्ष में जाने से पहले अनुमति प्राप्त करें।
  • कक्ष में कुर्सी पर बैठने से पूर्व अनुमति मिलने की प्रतीक्षा करें या फिर स्वयं अनुमति लेकर बैठें।
  • कुर्सी पर तनकर, पीछे की ओर या ज्यादा आगे की ओर न बैठें और न ही पैरों को एक दूसरे के ऊपर चढ़ाकर बैठें।
  • साक्षात्कार के दौरान किसी पेन पेंसिल या अन्य सामग्री से न खेलें। ऐसा करना साक्षात्कार में आपकी अरुचि एवं आपके अगंभीर व्यक्तित्व को दर्शाता है।
  • साक्षात्कार के दौरान आपकी आवाज न तो बहुत धीमी और न ही बहुत तेज हो बल्कि इसमें एक संतुलन होना चाहिए ताकि बोर्ड सदस्य उसे आसानी से सुन व समझ सकें।
  • एक बार में दो या तीन प्रश्नों का उत्तर देने की बजाय क्रमानुसार एक-एक करके सभी प्रश्नों का उत्तर दें।
  • वही कहें जो आप कहना चाहते हैं। उपयुक्त शब्दों का चयन करें बनावटीपन न रखें।
  • चेहरे पर थोड़ी मुस्कान व विनयशीलता आपके व्यक्तित्व को प्रभावी रूप प्रदान करेगी।
  • यदि आपसे कोई गलती हो तो उसे विनयपूर्वक स्वीकार करें।
  • आप सरकार व अन्य संस्थाओं के प्रति सकारात्मक रुख रखें।
  • यदि आपका उत्तर समाप्त हो जाए तो चुप हो जाएं। अनावश्यक अपने उत्तर को न खींचें।
  • अपनी बात को जिस भाषा में बेहतर संप्रेषित कर सकें उसी भाषा का प्रयोग करें। मिश्रित भाषा का प्रयोग भी कर सकते हैं। 

प्रत्याशी का व्यक्तित्व

साक्षात्कार मंडल द्वारा प्रत्याशी के व्यक्तित्व का मूल्यांकन कुछ विशेष मानदंडों के आधार पर किया जाता है। जो प्रत्याशी इन मानदंडों पर खरे उतरते हैं, वही साक्षात्कार में सफल होते हैं। अतः इन मानदंडों के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। ये मानदंड निम्नानुसार है।  

1. नेतृत्व का गुण

  • नेतृत्व मानवीय क्रियाकलाप की सफलता के लिए मूलभूत आवश्यकता है। नेतृत्व वह कला या प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति किसी समूह के लोगों को लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करता है। साक्षात्कार में सफलता हेतु प्रत्याशी में नेतृत्व संबंधी निम्नानुसार गुण होने चाहिए। 
  • प्रत्याशी में पहल करने की योग्यता होनी चाहिए। साक्षात्कारकर्ता यह देखते हैं कि प्रत्याशी किसी कार्य को अपनी ओर से प्रारंभ करने की क्षमता रखता है या नहीं। साथ ही वह नई-नई परिस्थितियों में सामान्य रूप से कार्य करने के योग्य है अथवा नहीं।
  • प्रत्याशी के व्यक्तित्व में समूह को प्रभावित करने की क्षमता होनी चाहिए।  
  • साहस नेतृत्व का एक प्रमुख गुण है। साहसी व्यक्ति ही किसी समूह का सफल नेतृत्व कर सकता है, अतः आवश्यक है कि प्रत्याशी अपने अंदर साहस का गुण विकसित करे।
  • तनावपूर्ण स्थिति में शांत रहना व स्वयं को नियंत्रित रखने का गुण प्रत्याशी में अवश्य होना चाहिए।
  • आत्मविश्वास के बल पर व्यक्ति कठिन परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना सकता है। यह व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किसी भी व्यक्ति में आत्मविश्वास का गुण अत्यंत आवश्यक है। साक्षात्कार बोर्ड के सदस्य भी प्रत्याशी के आत्मविश्वास की परख करते हैं अतः प्रत्याशी को स्वयं को सकारात्मक व सक्षम व्यक्ति के रूप में ही प्रस्तुत करना चाहिए।

2. संचार कौशल

अच्छा संचार कौशल स्वयं को अभिव्यक्त करने के लिए अत्यंत आवश्यक है। साक्षात्कारकर्ता व्यक्ति से अच्छे संचार कौशल की अपेक्षा रखता है। प्रत्याशी में एकाग्रता से सुनने, समझने व स्पष्ट उदाहरण के साथ प्रत्युत्तर देने की क्षमता होनी चाहिए। साक्षात्कार देने वाले प्रत्याशी में संचार संबंधी निम्नानुसार कुशलताओं का होना आवश्यक है।

(अ) अभिव्यक्ति की क्षमता

प्रत्याशी में अपने भावनाओं को कुशलता से अभिव्यक्त करने का सामर्थ्य होना चाहिए जिसके लिए अभ्यास आवश्यक है। साथियों के साथ विभिन्न विषयों पर परिचर्चा करनी चाहिए और किसी विषय पर विचार व्यक्त करने चाहिए। इससे अभिव्यक्ति की क्षमता को बढ़ावा बढ़ाया जा सकता है।

(ब) भाषा

साक्षात्कार मंडल के समक्ष सरल, सहज एवं संप्रेषणीय भाषा का प्रयोग करना चाहिए। ध्यान रहे कि शब्दों का उच्चारण शुद्ध हों, कलिष्ट न हों।

(स) स्वर और शैली

प्रत्याशी को साक्षात्कार मंडल से मृदु स्वर में वार्तालाप करनी चाहिए। प्रश्नों का उत्तर सदैव सधे हुए स्वर में देने का प्रयास करें। वार्तालाप में उतार-चढ़ाव, विराम आदि का ध्यान रखें। इसके लिए एकांत में बैठकर दर्पण के सामने बोलने का अभ्यास करना चाहिए। इससे स्वर और शैली को काफी प्रभावी बनाया जा सकता है।

3. बाह्य व्यक्तित्व

बाह्य व्यक्तित्व में शरीर की बाह्य बनावट, चेहरे के हाव-भाव,  उठने-बैठने का तरीका, शिष्टाचार आदि तत्व शामिल होते हैं।इन्हीं बाह्य तत्वों का ध्यान रखना साक्षात्कार में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए प्रत्याशी की पोशाक आदि आम प्रचलन वाली ही हो। न अत्यधिक चमक हो और न ही ज्यादा बनावटी लगने वाली हो।

4. मानसिक सतर्कता

साक्षात्कार में प्रत्याशियों के लिए मानसिक सतर्कता अत्यंत आवश्यक है। मानसिक रूप से यदि प्रत्याशी सतर्क है तो वह प्रश्नों को आसानी से समझ सकता है और प्रभावी जवाब दे सकता है। साथ ही बोर्ड के सदस्यों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए प्रत्याशी को सतर्क रहना आवश्यक है।मानसिक सतर्कता के विकास के लिए प्रत्याशी को दूसरों की बातों को ध्यान पूर्वक सुनने की आदत डालनी चाहिए। इसके लिए ध्यान, प्राणायाम आदि क्रियाएं लाभदायक हैं।

5. प्रत्याशी के दृष्टिकोण की स्थिरता

व्यक्ति की सफलता उसके दृष्टिकोण की स्थिरता पर निर्भर करती है। कई बार साक्षात्कारकर्ता प्रत्याशी से किसी प्रश्न को दोहराकर उसका दोबारा मत जानने की कोशिश करते हैं। अतः प्रत्याशी को प्रत्येक स्थिति में अपने पूर्व के मत को बदलना नहीं चाहिए। साक्षात्कार के प्रारंभ से अंत तक किसी भी विषय पर समान दृष्टिकोण बनाए रखें।

6. तार्किक विचार

प्रत्याशी के विचार तर्क पर आधारित होने चाहिए न कि आम प्रचलित मान्यताओं पर आधारित हों। इससे उसके दृष्टिकोण का पता चलता है एवं उसके व्यक्तित्व का आकलन किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि किसी भी घटना को उसके इतिहास, वर्तमान व भविष्य काल के संदर्भ में जोड़ कर देखना चाहिए एवं उसका तार्किक विश्लेषण करना चाहिए।

7. विषय की समझ

प्रत्याशी को अपने पूर्व की शिक्षा, जिसमें बीए एमए इत्यादि शामिल है, के विषय में अच्छी समझ होनी चाहिए इसके लिए सभी विषयों में होने वाले संभावित प्रश्नों को समझ लेना आवश्यक है।

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