स्त्रियों एवं बालकों के विरूद्ध अपराध (Crimes against Women and Children)

Admin Comment: श्री मयंक चौहान (जयपुर) का आर्टिकल जो आरएएस (RAS), सिविल सेवा तथा राजस्थान एवं भारत की विभिन्न परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।

महिलाओं व बाल अपराधों से संबंधित अपराधों में हाल ही के वर्षों में वृद्धि हुई है। महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों के तहत घरेलू अत्याचार, सार्वजनिक व कार्यालयों में सहकर्मी या उच्च पदस्थ व्यक्ति द्वारा यौन उत्पीड़न भावनात्मक रूप से उत्पीड़न व छेड़छाड़ की गतिविधियों में वृद्धि हुई है।बाल अपराधों में भी हाल के वर्षों में वृद्धि हुई है इसमें बालक के मुख्यतया परिचित द्वारा ही यौन उत्पीड़न किया गया है। महिलाओं वह बालकों से संबंधित अपराधों में वृद्धि के मद्देनजर सरकार द्वारा अनेक अधिनियम बनाए गए हैं।

  • स्वयं किसी व्यक्ति, समूह, समुदाय केमानसिक शारीरिक चोट पहुंचाने के लिए जानबूझकर किए गए शक्ति  प्रयोग को ‘हिंसा’ कहते हैं।
  • जानबूझकर किया गया ऐसा कृत्य समाज द्वारा निर्धारित आचरण के उल्लंघन अथवा जिसके लिए दोषी व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत कानून द्वारा निर्धारित दंड दिया जाता हो, ऐसे काम अपराध कहलाते हैं।
  • महिला संबंधित अपराधों में NCRB के अनुसार देश भर में 2015 में 35000 दुष्कर्म केस दर्ज हुए हैं, NCRB के अनुसार वर्ष भर महिला से संबंधित तीन लाख से अधिक केस दर्ज होते हैं।
  • 2015 में 10000 से अधिक महिलाएं अपहरण का शिकार हुई।

महिला संरक्षण कानून : IPC 1860 : के अंतर्गत

  • IPC धारा 354 -स्त्री की लज्जा भंग करने।
  • IPC धारा 354 ‘A’ -यौन उत्पीड़न के लिए सजा।
  • IPC धारा 354 ‘B’ -किसी स्त्री को बलपूर्वक या विवश कर नग्न करना।
  • IPC धारा 354 ‘C’ -नांक-सांक  करना।
  • IPC धारा 354 ‘D’ -पीछा करना।
  • धारा 509 – …..

भारतीय दंड संहिता संशोधित अधिनियम 2016IPC धारा 376 – बलात्कार376’A’ –स्त्री केे साथ सहमतिि से याा असहमति से प्रियजनों की मृत्युुु का भय दिखाकर कियााा गया बलात्कार, जिस कारण स्त्री कोो गंभीर दाती पहुंचती है या उसकी मृत्युु हो जाती है।धारा 376 ‘B’ – पति द्वारा पत्नी से अलग होनेे की परिस्थिति में पति के द्वारा पत्नी के सहमति केे बिना किया गया संभोग, बलात्कार माना जाएगा।धारा 376 ‘D’ – सामूहिक बलात्कार                   – सजा अवधि-  20 वर्ष अधिकतम आजीवन कारावास।दहेज निषेध अधिनियम 1961 ( संशोधित 1986)-दहेज निषेध अधिनियम 1889 और 1986 की धारा 2 के अंतर्गत दहेज लेना वह देना वह लेनदेन में सहयोग करना दोनों अपराध है।-इसमें 5 वर्ष की कैद और 15000 जुर्माना है।-सती (रोकथाम) अधिनियम 1867-घरेलू हिंसा से महिला सुरक्षा अधिनियम-जिसका उद्देश्य महिला को घरेलू हिंसा से बचाना है।-महिलाओं का कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेश, प्रतितोष) अधिनियम 2013 -के अनुसार ऐसी कोई संस्था जिसमें 10 या 10 से अधिक काम करते हैं, वह आंतरिक परी …….. किया गया है। ऐसी संस्थाओं में महिलाओं के साथ हुआ किसी भी प्रकार का यौन उत्पीड़न अपराध माना जाएगा।-अनैतिक व्यापार अधिनियम -1856  व्यवसायिक यौन उत्पीड़न (वेश्यावृत्ति) के उद्देश्य से किया जाने वाले व्यापार की रोकथाम एवं सुरक्षा  प्रदान करता है।धारा 366 ‘A’ ,372 , 373 के तहत सजा व जुर्माने का प्रावधान।
बालको से संबंधित अपराध :NCRB (national crime record Bureau) के अनुसार 2015 – 16 में भारत में बच्चों के प्रति होने वाले अपराध जैसे-  बाल श्रम, बाल व्यापार, अपराध, शारीरिक मानसिक हिंसा, यौन शोषण, बलात्कार आदि के मामलों में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। बाल संरक्षण के तहत कानून :-बालक एवं किशोर श्रम (….. एवं विनियम) अधिनियम 1986 – इस अधिनियम की धारा 3 के तहत 14 वर्ष की आयु वर्ग तक के बालक से किसी भी प्रकार का खतरनाक एवं गैर खतरनाक कार्य संक्षेय अपराध है अर्थात 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खानो खतरनाक कामों, कारखानों के काम पर लगाने से रोक।-बालक श्रम संशोधन अधिनियम 2016 के अनुसार-

  • 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को रोजगार पर नहीं लगाया जा सकता है।
  • ऐसा व्यक्ति जिसने 14 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो किंतु 18 वर्ष से कम हो ऐसे बालक जोखिम या किसी खतरनाक कार्य में नहीं लगाया जा सकता है।

-बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के धारा (8) के तहत यदि कोई विवाहित जोड़े में से कोई नाबालिक है तो उसे बाल विवाह माना जाता है। 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के को इस अधिनियम के तहत नाबालिग माना गया है।-यौन शोषण से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम ‘POC 80 ACT’ -2012बालकों के प्रति बढ़ते अपराधों के समुचित उपचार एवं नियंत्रण के लिए अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 लागू किया गया। इसमें प्रमुख रूप से बच्चों के प्रति यौन हमला, यौन शोषण उत्पीड़न, अश्लीलता, गोपनीयता आदि को शामिल किया गया है। बच्चों के प्रति होने वाले यौन अपराधों के प्रति माता-पिता, स्कूल, पड़ोसी, स्वास्थ्य कर्मी ,पुलिस, मीडिया ,सामाजिक संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। सामुदायिक स्तर पर इनके सामूहिक प्रयास के बिना अपेक्षित परिणाम लाना चुनौतीपूर्ण है।-इसमें 8 अष्टयाय व अवधाराएं हैं।

धारा 3- प्रवेशन लैगिक हमला।धारा 4– 7 साल की सजा या जुर्माना।धारा 5– गुरुत्व प्रवेशन लैगिक हमला।धारा 6- कठोर कारावास -10 वर्ष या आजीवन कारावास।धारा 7– लैगिक हमला।धारा 8– कारावास 3 वर्ष से कम नहीं और 5 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।धारा 11– यौन उत्पीड़न।धारा 12– कारावास- 3 वर्ष और जुर्मानेेे से  दंडनीय होगा ।धारा 13– बालक का अश्लील प्रयोजन के लिए उपयोग।धारा 14– 5 वर्ष तक का कारावास, दोबारा दोषी पाए जानेेेेे पर 7 वर्ष का कारावास व जुर्माना। 
अश्लील सामग्ती भंडारण : कोई व्यक्ति वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए बाालक को सम्मिलित करते हुुए किसी सामग्ती का किसी भी रुप में भंदाकिरण करेगा, वह किसी भाति के कारावास से जो 3 वर्षष तक हो सकेगा या दोनोंं को दंडित किया जाएगा।POCSO संशोधन अधिनियम -2019बच्चों के प्रति बढ़ती दरिंदगी को देखते हुए …. 2012 में संशोधन के तहत POCSO- 2015 लाया गया है।

  • धारा 376 D ‘B’ -के तहत 12 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं के साथ दुष्कर्म करने पर फांसी की सजा का प्रावधान। ‘सामूहिक बलात्कार’
  • पोक्सो एक्ट के तहत जोधपुर कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा।
  • धारा 376 D ‘A’ – 16 वर्ष की लड़कियों से दुष्कर्म के मामले में कम से कम 20 वर्ष और अधिकतम उम्र कैद की सजा का प्रावधान।
  • मामले की जांच व ट्रायल 2 महीने खत्म करने की चर्चा।
  • आरोपी को अंतिम जमानत देने पर रोक।

-कानून के….. में समस्या-लचर कानून व्यवस्था.-पोस्को एक्ट के तहत 18 फ़ीसदी मामलों में ही पीड़िता को इंसाफ।-दुष्कर्म के मामलों में महज 30 फ़ीसदी के शो में गुनहगार को सजा।
बच्चों एवं महिलाओं के साथ होने वाले ..  अपराध घर के आस-पास ,सार्वजनिक स्थानों या स्कूलों में होते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि सामुदायिक स्तर पर बाल एवं महिला संरक्षण विषय पर जागरूकता को बढ़ावा मिले। फलस्वरूप समुदाय ऐसे तत्वों पर कड़ी निगाह रख सके एवं इस दिशा पुलिस का योगदान आवश्यक है। 

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