भारत में जल संसाधन (Water Resources in India) झीलें (Lakes)
By (Original Author) Sh. Laxman Choudhary (Jodhpur)
इस पोस्ट की Content इंक के व्हाट्सएप ग्रुप INK: RAS Aspirants के सदस्य श्री लक्ष्मण चौधरी (जोधपुर) द्वारा उपलब्ध करवाई गई है। Admin के द्वारा इसे केवल पब्लिश किया गया है। आरएएस पाठ्यक्रम में भारत का भूगोल (Geography of India) के अंतर्गत प्रमुख भौतिक भू-आकृतियों (Broad Physical Features) में झीलें (Lakes) भी शामिल है। इसके साथ ही प्राकृतिक संसाधनों में झीलें महत्वपूर्ण जल स्रोत हैं।
1. बुलर झील
- जम्मू कश्मीर के बांदीपोरा जिले में स्थित प्राकृतिक मीठे पानी की झील है।
- यह 16 किलोमीटर लंबी 10 किलोमीटर चौड़ी 260 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है।
- यह भारत की सबसे बड़ी प्राकृतिक मीठे पानी की झील है।
- इसमें झेलम नदी आकर मिलती है तथा इसके किनारे पर तुलबुल परियोजना स्थित है।
- इसे सन् 1990 में रामसर साइट घोषित किया गया।
- इस झील में ऊंची लहरें उठती है।
2. मानसबल झील
- यह जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में स्थित प्राकृतिक मीठे पानी की झील है।
- यह वूलर झील व डल झील के मध्य स्थित जम्मू कश्मीर की सबसे गहरी झील है।
3. डल झील
- यह जम्मू कश्मीर के श्रीनगर जिले में स्थित प्राकृतिक मीठे पानी की झील है।
4. जानसर/ मानसर /सुरीसर झील
- यह जम्मू कश्मीर के जम्मू जिले में स्थित प्राकृतिक मीठे पानी की झील है।
- यह जम्मू कटरा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 पर स्थित है।
- इसे सन् 2005 में रामसर साइट घोषित किया गया।
5. नैनीताल झील
- यह उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित प्राकृतिक मीठे पानी की झील है।
- पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण झील है।
6. नालसरोवर झील
- यह गुजरात के अहमदाबाद जिले में स्थित मीठे पानी की झील है।
- इस झील क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया है।
- इस डील को सन 2012 में रामसर साइट घोषित किया गया।
- यह झील प्रवासी पक्षियों का आश्रय स्थल है।
7. लोनार झील
- यह महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में स्थित खारे पानी की झील है।
- इसका निर्माण प्लिस्टोसिन काल में उल्का पिंड के टकराने से निर्मित गड्ढे में जल भर जाने से हुआ है इसलिए इसे उल्का झील भी कहते हैं।
- इसे क्रेटर झील भी कहा जाता है क्योंकि इसका निर्माण उल्का प्रहार से निर्मित क्रेटर में जल भर जाने से हुआ है।
8. चिल्का झील
- यह उड़ीसा के पुरी गंजाम जिले के मध्य स्थित खारे पानी की झील है।
- इसका निर्माण महादी के डेल्टाई भाग में अवसादो के निक्षेप से हुआ है।
- यह लैगून झील का एक उदाहरण है।
- यह लगभग 64.5 किलोमीटर लंबी 30 किलोमीटर चौड़ी औसत रूप से 3 मीटर गहरी झील है जो 1000 से 1165 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है।
- यह भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। दिसंबर से जून तक इसका जल खारा रहता है जबकि जून से दिसंबर तक मीठा या कम खारा रहता है, लेकिन पीने योग्य नहीं।
- इसे 1 अक्टूबर, 1981 को रामसर साइट में शामिल कर किया गया।
- आर्द्रभूमि क्षेत्र में शामिल भारत का पहला क्षेत्र इस दिल से लगभग 1.5 लाख लोगों को रोजगार मिलता है।
9. हुसैन सागर
- झील तेलंगाना के हैदराबाद शहर व सिकंदराबाद के मध्य स्थित कृत्रिम मीठे पानी की झील है।
- इसका निर्माण सन 1920 में हैदराबाद के निजाम उस्मान खान ने मुसी नदी के जल को रोककर करवाया था।
- 6 वर्ग किलोमीटर में फैली है इस झील में स्थित टापू पर महात्मा बुद्ध की प्रतिमा स्थित है
10. कोलेरू झील
- यह आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में स्थित मीठे पानी की झील है।
- यह प्राचीन तटरेखा को प्रदर्शित करती है। उस समय इसका जल खारा था, लेकिन तटरेखा के सागर की ओर खिसकने से वर्तमान में इसका जल मीठा है।
- इसे सन् 2002 में रामसर साइट घोषित किया गया।
11. पुलीकट झील
- यह आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु (नल्लोर और चेन्नई) के मध्य स्थित खारे पानी की झील है।
- इसका निर्माण हरिकोटा द्वीप द्वारा सागरीय लहरों को रोकने के कारण होता है जिसके कारण तटीय भागों पर बालुका स्तूप का निर्माण होता है।
- यह लैगून झील है जो लगभग 60 किलोमीटर लंबी 5 से 15 किलोमीटर चौड़ी 250से 450 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है।
- अधिकांश भाग आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में स्थित है।
12. वेंबानद झील
- केरल के एर्नाकुलम, कोची व कोट्टायम जिलों के मध्य स्थित है।
- यह लैगून झील है, जिसे यहां पर कयाल कहा जाता है।
- यह लगभग 98 किलोमीटर लंबी है जो भारत की सबसे लंबी झील है।
- इसमें प्रसिद्ध नेहरू कप नौकायन प्रतियोगिता होती है।
- इसे अरबसागर की रानी कहा जाता है।
- इसे सन 2002 में रामसर साइट में शामिल कर लिया गया था।
13. अष्टमुदी झील
- यह केरल के कोल्लम जिले में स्थित खारे पानी की झील है।
- यह लैगून झील का उदाहरण है, जिसे यहां पर कयाल कहा जाता है।
- यह 60 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है।
- इसे सन 2002 में रामसर साइट में शामिल कर लिया गया है।
14. गुरुडोंगमार झील
- यह उत्तरी सिक्किम जिले में स्थित प्राकृतिक मीठे पानी की झील है।
- यह तीन झीलों का एक समूह है जो 17100 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं।
- यह चीन की सीमा से 5 किलोमीटर दूर स्थित है।
15. संगीतसर झील/ माधुरी झील
- यह अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में स्थित प्राकृतिक मीठे पानी की झील है।
- बौद्ध धर्म के लोग इसे पवित्र मानते हैं
- इसे माधुरी झील के नाम से भी जाना जाता है।
16. चान्दुवी झील
- यह असम स्थित प्राकृतिक मीठे पानी की झील है।
- इसका निर्माण सन 1857 में असम में आए भूकंप के द्वारा हुआ।
17. नोक्रेक झील
- यह मेघालय के गारो जिले में स्थित प्राकृतिक मीठे पानी की झील है।
- यह जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
- इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया है।
18. उमीयम झील
- यह मेघालय के शिलांग जिले में स्थित कृत्रिम मीठे पानी की झील है।
- इसका निर्माण सन 1960 में उमीयम नदी पर बांध बनाकर किया गया।
19. लोकताक झील
- यह मणिपुर राज्य के विष्णुपुर जिले में स्थित मीठे पानी की झील है।
- इसका निर्माण मणिपुरी नदी व अन्य सहायक नदियों से हुआ है।
- यह विश्व की एकमात्र तैरती हुई झील है। इसके मध्य वनस्पति व मिट्टी से बने हुए द्वीप हैं जो जलीय भाग में तैर रहते हैं। ऐसे तैरते हुए दीपों को फुमदी या फंडीज कहा जाता है।
- इस फुमदी पर संगाई हिरण की प्रजाति पाई जाती है जो समाप्त होने के कगार पर है, इसलिए इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया है।
- यहां की सबसे बड़ी फुमदी ‘केयबुल लामझाओ’ है जो विश्व का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान है।
20. सिलेरु /सिलोई झील
- यह नागालैंड के दक्षिणी भाग में फेंक जिले में स्थित प्राकृतिक मीठे पानी की झील है।
- इस झील में चीड़ के व्रृक्षों की अधिकता है।
- सुंदर भू-दृश्य के कारण यह पर्यटन की दृष्टि से आकर्षक झील है।
21. पलक झील
- यह मिजोरम के दक्षिणी भाग में सेहो जिले में स्थित प्राकृतिक मीठे पानी की झील है।
- इसका निर्माण धरातलीय भाग में धंसाव के कारण हुआ।
22. रूद्र सागर झील
- यह त्रिपुरा के अगरतला जिले में स्थित कृत्रिम मीठे पानी की झील है।
- उसका निर्माण सन 1935 से 1938 के मध्य ‘वीर बिक्रम किशोर मनीकीय बहादुर’ द्वारा करवाया गया।
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