भारतीय अपवाह प्रणाली (Indian Drainage System)

Admin Comment: सुश्री वर्षा अग्रवाल (जयपुर) का आर्टिकल जो आरएएस (RAS), सिविल सेवा तथा राजस्थान एवं भारत की विभिन्न परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।

Admin Comment: सुश्री वर्षा अग्रवाल (जयपुर) का आर्टिकल जो आरएएस (RAS), सिविल सेवा तथा राजस्थान एवं भारत की विभिन्न परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।

भारत की नदियों का देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनकाल से ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सिन्धु तथा गंगा नदियों की घाटियों में ही विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यताओं – सिन्धु घाटी तथा आर्य सभ्यता का आर्विभाव हुआ। आज भी देश की सर्वाधिक जनसंख्या एवं कृषि का जमाव नदी घाटी क्षेत्रों में पाया जाता है। प्राचीन काल में व्यापारिक एवं यातायात की सुविधा के कारण देश के अधिकांश नगर नदियों के किनारे ही विकसित हुए थे तथा आज भी देश के लगभग सभी धार्मिक स्थल किसी न किसी नदी से सम्बद्ध है। भारत नदियों का देश है, जहां 4000 से भी अधिक छोटी-बड़ी नदियॉं मिलती हैं, जिन्हें 23 वृहद एवं 200 लघु स्तरीय नदी बेसिनों में विभाजित किया जा सकता है। जिस निश्चित मार्ग में जल का प्रवाह होता है उसे नदी का अपवाह कहते हैं। उत्पत्ति के आधार पर भारत की नदियों का वर्गीकरण मुख्य रूप से दो वर्गों में किया गया है हिमालय की नदियां तथा प्रायद्वीपीय नदियां इन नदी तंत्रों के बीच पहन लक्षणों तथा जलीय विशेषताओं में महत्वपूर्ण अंतर पाए जाते हैं|

  • नदी तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा एक तंत्र का निर्माण होता है जिसे अपवाह तंत्र कहते हैं।
  • जिस क्षेत्र से नदी हिमनद या वर्षा का जल प्राप्त करती है उसे नदी का बेसिन क्षेत्र कहते हैं।
  • बेसन नदी को नदी का जल ग्रहण क्षेत्र (catchment area) भी कहते हैं।
  • दो अपवाह बेसिनों के मध्य स्थित उच्चभूमि के सर्वोच्च बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखा को (water divide or water divide line) कहा जाता है, जिसके दोनों ओर भिन्न अपवाह (drainage) पाये जाते हैं। यह एक रेखा है जो दो आसन्न जल अपवाह बेसिनों को अलग करती है।

भारत का महान जल विभाजक मानसरोवर झील से प्रारंभ होकर अरावली,विंध्याचल,सतपुरा तथा पश्चिमी घाट के रूप मेंकन्याकुमारी तक विस्तृत है।
महान जल विभाजक के आधार पर भारत में निम्नलिखित अपवाह तंत्र-

  • बंगाल की खाड़ी अपवाह तंत्र 
  • अरब सागर 
  • अंतः स्थलीय  

नदियों के उद्गम के आधार पर भारत में निम्नलिखित अपवाह तंत्र-

  • हिमालय अपवाह तंत्र 
  • प्रायद्वीपीय
  •  अंतःस्थलीय 
हिमालय अपवाह तंत्रप्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र 
1. इस अपवाह तंत्र में हिमालय से निकलने वाली नदियॉं तथा उनकीसहायक नदियॉं सम्मिलित हैं।1. इस अपवाह तंत्र में प्रायद्वीपीय क्षेत्र से निकलने वाली नदियॉं तथाउनकी सहायक नदियॉं सम्मिलित हैं
2. इस अपवाह तंत्र की नदियॉं हिमनद एवं वर्षा दोनों से जल प्राप्त करती है अतःयहां की नदियॉं सदा वाहिनी (Perennial) या सदानीरा होती हैं।2. इस अपवाह तंत्र की नदियॉं केवल वर्षा से जल प्राप्तकरती है अतः यह नदियॉं मौसमी (Seasonal) होती हैं।
3. इस अपवाह तंत्र की नदियॉं नवीन वलित पर्वतीय क्षेत्र से बहती है अतः यहनदियॉं युवावस्था में है।3. यह नदियॉं प्रायद्वीपीय पठार क्षेत्र से बहती है यहवृद्धावस्था में है।

हिमालय अपवाह तंत्र- 

  1. सिंधु अपवाह तंत्र
  2. गंगा अपवाह तंत्र
  3. ब्रह्मपुत्र अपवाह तंत्र

             सिन्धु अपवाह तंत्र                              

  • इसके अंतर्गत सिंधु एवं उसकी सहायक नदियॉं झेलम, चिनाब, रावी, व्यास,सतलज (पंचनद) सम्मिलित हैं।         
  • सिंधु तिब्बत के मानसरोवर झील के निकट ‘चेमायुंगडुंग’ ग्लेशियर से निकलती है।                                     
  • यह अपवाह तंत्र मुख्य रूप से जम्मू कश्मीर,पंजाब तथा हिमालय प्रदेश में स्थित है, यह 2880 किलोमीटर लंबी है।                                                                                                                            
  • भारत-पाकिस्तान के बीच 1960 ई० में हुए सिंधु जल समझौते के अंतर्गत भारत सिंधु एवं उसकी सहायक नदियों में झेलम औरचिनाब के २०% जल का उपयोग कर सकता है जबकि सतलज,रावी के ८०% जल का उपयोग का अधिकार इस समझौते मेंभारत को दिया गया है।                                                               –  सिंधु नदी का उद्गम कैलाश पर्वतीय क्षेत्र में होता है, तिब्बत में इस नदी को सिंगी खंबान कहते हैं।                      यह दमचोक नामक स्थान से भारत में प्रवेश करती है, यह नदी भारतमें लद्दाख तथा जास्कर श्रेणी के बीच बहती है और पाकिस्तान में यह कटक नामक स्थान पर मैदानों में प्रवेश करती है फिरपाकिस्तान में कराची के पास डेल्टा बनाते हुए अरब सागर में गिरती हैं।
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पंचनद 

  1. झेलम नदी का उद्गम जम्मू कश्मीर में बेरीनाग झील से होता है, यह वूलर झील का निर्माण करती है जो भारत की सबसे बड़ी मीठेपानी की झील है। यह श्रीनगर के किनारे स्थित है एवं इस नदी पर तुलबुल परियोजना है।
  2. चिनाब नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश में बारालचछा दर्रे के पास चंद्र तथा भागा नदियों के मिलने से होता है एवं जम्मू कश्मीर मेंइस नदी पर जल विद्युत परियोजनाएँ स्थित हैं।
  3. रावी नदी का उद्गम रोहितांग दर्रे के पास से हिमाचल प्रदेश में होता है, इस नदी पर चमेरा बांध स्थित है एवं पंजाब में इस नदी परथीन परियोजना स्थित हैं।
  4. व्यास नदी का उद्गम रोहतांग दर्रे के पास स्थित व्यास कुण्ड से होता है इस नदी पर पोंग बांध स्थित है जिससे महाराणा प्रतापजलाशय का निर्माण होता है। व्यास नदी पंजाब में हरीके नामक स्थान पर सतलज नदी से मिलती हैं।
  5. सतलज नदी का उद्गम तिब्बत में राक्षस ताल से होता है। भारत में शिपकिला दर्रा के माध्यम से प्रवेश करती है  तथा हिमाचलप्रदेश तथा पंजाब के सीमा क्षेत्र पर भाखड़ा नांगल बांध स्थित है इसी बांध से गोविंद सागर जलाशय का निर्माण होता है तथाइसी से इंदिरा गांधी नहर निकलती हैं।

                 गंगा अपवाह तंत्र 

  • गंगा नदी वास्तव में भागीरथी और अलकनंदा नदियों का ही सम्मिलित रूप है जो ‘देवप्रयाग’के निकट मिलकर गंगा कहलाती है।
  • गंगा नदी का मुख्य स्त्रोत उत्तराखंड में स्थित गंगोत्री हिमनद है यह हरिद्वार के निकट मैदानी भाग में प्रवेश करती है।
  • इसमें दाहिनी ओर से यमुना प्रयाग (इलाहाबाद) के निकट मिलती है। गंगा नदी की कुल लंबाई 2525 Km है।
  • गंगा के बाय तट की मुख्य सहायक नदियॉं पश्चिम से पूर्व इस प्रकार है- रामगंगा,गोमती,घाघरा,गंडक,कोसी तथा महानंदा।
  1. यमुना का उद्गम उत्तराखंड में यमुनोत्री हिमनद से होता है, दिल्ली से होते हुए यूपी में इलाहाबाद के पास यह गंगा नदी से मिलती हैजिसे प्रयाग कहा जाता है। यह गंगा की सबसे लंबी सहायक नदी है, इसके किनारे आगरा तथा मथुरा शहर स्थित है।
  2. सोन नदी का उदगम मध्य प्रदेश में अमरकंटक से होता है यह नदी बिहार में सोनपुर नामक स्थान पर गंगा से मिलती है।इस नदी केबेसिन में सोने प्लेसर निक्षेप पाए जाते हैं।
  3. कोसी नदी का उद्गम तिब्बत के पठार से निकलने वाली विभिन्न धाराओं से होता है। अवसादों की मात्रा अधिक होने के कारण यहनदी बार-बार अपने मार्ग में परिवर्तन करती है अतः बिहार में नदी के कारण बाढ़ आती रहती है अतः इसे बिहार का शोक कहते हैं।
  1. घाघरा नदी का उद्गम तिब्बत के पठार से होता है, घाघरा नदी नेपाल से निकलती है जहां से काली नदी कहते हैं।सरयू नदी केकिनारे अयोध्या स्थित है।

वितरिकाएँ

  1. हुगली नदी फरक्का नामक स्थान पर गंगा से अलग होती है इस नदी के किनारे कोलकाता शहर स्थित है।कोलकाता तथा हल्दिया बंदरगाह भी इसी नदी पर स्थित है, इसे विश्वासघाती नदी(Treacherous) कहा जाता है।दामोदर हुगली की प्रमुखसहायक नदी हैं।
  2. दामोदर नदी का उद्गम झारखंड में छोटा नागपुर पठार क्षेत्र से होता है।इस नदी घाटी क्षेत्र कोयला के भंडार पाए जाते हैं अतः सेभारत की रूर घाटी कहा जाता है।यह नदी पहले बंगाल में बाढ़ लेकर आती थी अतः इसे बंगाल का शोक कहते हैं। आजादी केबाद इस नदी पर पहली बहुउद्देशीय परियोजना स्थापित की गई है जिसे ‘दामोदर घाटी परियोजना’ कहते हैं, यह यूएसए कीटेनिसी नदी घाटी परियोजना पर आधारित है।

ब्रह्मपुत्र अपवाह तंत्र

  • यह मुख्य रूप से उत्तर पूर्वी राज्यों में स्थित है, इस नदी का जलग्रहण क्षेत्र 5.8km2 है भारत में इस नदी की कुल लंबाई2900किलोमीटर है।
  • यह नदी नामचा बरवा के पास गहरी घाटी के माध्यम से भारत में प्रवेश करती है। इस नदी में विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीपमाजुली (असम)में स्थित है।
  • भारत में सर्वाधिक जल विद्युत उत्पादन क्षमता इसी नदी में पाई जाती है।
  • फरक्का के बाद गंगा नदी दक्षिण पूर्व की ओर बहते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है और पदमा कहलाती है, यहां से यह कईधाराओं में बंटकर डेल्टाई मैदान में दक्षिण की ओर बहती हुई समुद्र में मिलती है। इस हिस्से में यह भागीरथी हुबली के नाम सेजानी जाती है।
  • चांदपुर के पास मेघना इससे आकर मिल जाती है और तत्पश्चात यह मेघना नाम से अनेक जल वितरिकाओं में बंटकर बंगाल कीखाड़ी में मिल जाती है।
  • गंगा ब्रह्मपुत्र डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा माना जाता है, जिसका विस्तार हुगली और मेघना नदियों के बीच है।
  • डेल्टा का समुद्री भाग घने वनों से ढका है सुंदरी वृक्ष की अधिकता से यह सुंदरवन कहलाता है।
  • इस नदी की प्रमुख सहायक नदियां निम्नलिखित है-
RightLeft 
तिस्ता ,मानस ,सुभनश्रीदिबांग,लोहित, धनश्री

           प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र 

प्रायद्वीपीय नदियॉं चौड़ी लगभग संतुलित एवं उथली घाटियों से होकर बहती है।यह नदियॉं हिमालय की तुलना में अधिक पुरानी है।प्रायद्वीपीय क्षेत्र के अधिकांश नदियाॉं पूरब की ओर बहती है क्योंकि इनका मुख्य जल विभाजक पश्चिमी घाट है, सिर्फ नर्मदा व ताप्तीही सामने बहाव की दिशा के विपरीत पूरब से पश्चिम की ओर होकर बहती है जो उनके द्वारा निर्मित नहीं है। केवल वर्षा जल पर निर्मितहोने के कारण प्रायद्वीपीय नदियॉं मौसमी हैं।

  • महानदी का उद्गम दंडकारण्य पठार के क्षेत्रों से छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले से होता है। उड़ीसा से होती हुई है नदी बंगाल की खाड़ीमें गिरती है, यह नदी कटोरे के आकार का बेसिन बनाती है। छत्तीसगढ़ में इस नदी के बेसिन क्षेत्र में चावल की खेती की जाती है।उड़ीसा में इस नदी पर हीराकुंड बांध स्थित है जो भारत का सबसे लंबा बांध है।
  • गोदावरी नदी का उद्गम महाराष्ट्र में कलसुबाई चोटीक्षेत्र  से होता है।यह दक्षिण भारत की सबसे लंबी नदी है। यह नदीमध्यप्रदेश,तेलंगाना तथा आंध्रप्रदेश से होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है।इसे वृद्ध गंगा तथा दक्षिण गंगा भी कहते हैं।आंध्रप्रदेश में इस नदी पर पोलावरम बांध स्थित है। इसके प्रमुख सहायक नदियॉं-
  • कृष्णा नदी महाबलेश्वर के पास एक झरने से निकलती है यह महाराष्ट्र कर्नाटक से होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले१५०० किलोमीटर की दूरी तय करती है।कोयना,घाटप्रभा,मालप्रभा, तुगंभद्रा, मूसी आदि प्रमुख सहायक नदियॉं है। कृष्णा औरकावेरी के मध्य पेन्नार बेसिन स्थित है जिसका अधिकांश भाग आंध्र प्रदेश में है। तुगंभद्रा कृष्णा नदी पर कर्नाटक में नागार्जुनसागर बांध स्थित हैं।मूसी नदी के किनारे हैदराबाद शहर स्थित है।
  • कावेरी नदी पश्चिमी घाट की ब्रह्मागिरी श्रेणी से निकलती है एवं कावेरिपट्टनम के पास बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले 800 किलोमीटर की दूरी तय करती है। यह केरल,कर्नाटक एवं तमिलनाडु तीन राज्यों में विस्तृत है। यह सदावाहिनी नदी है और इसनदी के बेसिन में चावल की खेती की जाती है।इसे दक्षिण भारत का अन्न का कटोरा भी कहते हैं। कर्नाटक में इस नदी परकृष्णराज सागर बांध या शिवसमुद्रम जलप्रपात स्थित है। इस नदी की सहायक नदियॉं हेमावती, भवानी, अमरावती हैं।

           अरब सागर अपवाह तंत्र 

  1. लूनी नदी का उद्गम अरावली पर्वत की नाग पहाड़ियों से होता है, यह नदी कच्छ के रन तक जाती है। बाड़मेर में बालोतरा नामकस्थान पर इसका जल मीठा है तथा बाद में इस नदी का जल खारा हो जाता है। इस नदी के प्रमुख सहायक नदियॉं- लीलड़ी,सुकड़ी,जोजड़ी,जवाई,खारी।
  2. साबरमती का उद्गम अरावली पर्वत से होता है और यह खंभात की खाड़ी में गिरती है। इस नदी के किनारे गांधीनगर अहमदाबादशहर स्थित है।यह नदी कर्क रेखा को एक बार काटती है 
  3. माही नदी का उद्गम विंध्यांचल पर्वत से होता है तथा यह खंभात की खाड़ी में गिरती है। यह नदी मध्य प्रदेश,राजस्थान तथागुजरात से गुजरती है। यह नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है। बांसवाड़ा में इस नदी पर माही बजाज सागर बांध स्थित है।
  4. नर्मदा नदी का उद्गम अमरकंटक से होता है तथा यह खंभात की खाड़ी में गिरती है जबलपुर के पास इस नदी पर धुआंधारजलप्रपात स्थित है ,इसे संगमरमर जलप्रपात भी कहते हैं।मध्य प्रदेश में इस नदी पर इंदिरा सागर परियोजना है जिससे बननेवाला इंदिरा सागर जलाशय भारत का सबसे बड़ा मानव निर्मित जलाशय है। मध्यप्रदेश में इस नदी पर ओकांरेश्वर तथा महेश्वरपरियोजनाएं भी स्थित है।गुजरात में इस नदी पर सरदार सरोवर परियोजना स्थित है जो मध्य प्रदेश,गुजरात,महाराष्ट्र तथाराजस्थान की संयुक्त परियोजनाएँ है।
  5. तापी नदी का उद्गम बेतूल के पठार से होता है तथा यह खंभात की खाड़ी में गिरती है। यह नदी के किनारे गुजरात का सूरत शहरस्थित है, गुजरात में इसी नदी पर उकाई तथा काकरपारा परियोजनाएँ स्थित हैं।
  6. पोन्ननी नदी इसे भरतपूजा नदी कहते हैं। इस नदी का उद्गम अन्नामलाई पहाड़ियों से होता है तथा यह अरब सागर में गिरती है।यह केरल की सबसे बड़ी नदी है इसे केरल की नील नदी भी कहते हैं।
  7. पेरियार नदी का उद्गम अन्नामलाई पहाड़ियों से होता है तथा अरब सागर में गिरती है। यह केरल की सबसे लंबी नदी है इसे केरलकी जीवन रेखा भी कहते हैं। केरल में इस नदी पर इडुक्की बांध स्थित है।

        अंतःस्थलीय अपवाह तंत्र 

घग्गर नदी इस नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश में शिमला कालका की पहाड़ियों से होता है यह हरियाणा से होती हुई राजस्थान केगंगानगर जिले के अनूपगढ़ नामक स्थान तक जाती है। मानसून के दौरान यह नदी पाकिस्तान के फोर्ट अब्बास नामक स्थान तक जातीहै।इस नदी का बेसिन का उपयोग चावल की खेती के लिए किया जाता है।यह नदी भारत के सबसे अंतःस्थलीय अपवाह तंत्र का निर्माणकरती है।

RAS की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न-

Q. सिंधु अपवाह तंत्र                       50words

Q. गंगा अपवाह तंत्र                        50words

Q. ब्रह्मपुत्र अपवाह तंत्र                    50words

Q. हिमालय अपवाह तंत्र                  50words

Q. प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र               50words

Q. हिमालय तथा प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र में अंतर   100words

           भारत की कुछ प्रमुख झीलें

  • गूलर जम्मू कश्मीर झेलम नदी पर बना गोखुर झील है, डल झील कश्मीर के अत्यधिक खूबसूरत झील है।
  • सांभर,लूणकरणसर ,पचपदरा, डीडवाना राजस्थान की लवणीय झीलें हैं।
  • नागार्जुन गोविंद वल्लभ पंत सागर सोन के सहायक नदी रिहंद पर बनाई गई झील है।
  • स्टैनले जलाशय तमिलनाडु में कावेरी नदी पर मेट्टूर बांध के पीछे बनी झील है।
  • लोकटक झील पूर्वोत्तर भारत में मीठे पानी की सबसे बड़ी झील मानी जाती है, इस झील में केबुललामजाओ नाम का तैरता हुआराष्ट्रीय पार्क है।
  • चिल्का झील उड़ीसा भारत की सबसे बड़ी लैगून (खारे) पानी की झील है।
  • पुलिकट झील आंध्र प्रदेश की झील है,श्रीहरिकोटा यहीं है,जहां सतीश धवन उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र है।
  • वेंबनाद झील केरल में स्थित है इस झील में वेलिंगटन देश है जहां पर राष्ट्रीय नौकायन प्रतियोगिताएं होती है।
  • लोनार झील महाराष्ट्र बुलढाणा जिले में एक क्रेटर झील है जो उल्कापिंड के गिरने से बनी है हाल ही में यह झील का कलर गुलाबी हो गया है।

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