भारत और वैश्वीकरण (India and Globalisation)

Admin Comment: सुश्री सुगरा बानो (जोधपुर) का आर्टिकल जो आरएएस (RAS), सिविल सेवा तथा राजस्थान एवं भारत की विभिन्न परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।

वैश्वीकरण शब्द वर्तमान में हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। लगभग 20 वी शताब्दी के अंतिम दशक में संचार क्रांति ने समूचे विश्व को एक वैश्विक गांव में बदल दिया है। वैश्वीकरण ने आज पूरी दुनिया को एक गांव में बदल दिया है।अंतर्राष्ट्रीय एकीकरण, विश्व व्यापार का खुलना, वित्तीय बाजारों का अंतरराष्ट्रीय एकीकरण, विश्व के अलग-अलग देशों का व्यापार ,जनसंख्या का देशांतर, वस्तुओं व विचारों की गतिशीलता का बढ़ना ही वैश्वीकरण है।

वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है जिसने आज पूरे संसार को एक एकल समाज के रूप में परिवर्तित कर दिया है।विश्व के सारे देश लगभग वैश्वीकरण के जाल में फस चुके हैं और इस जाल में भारत भी अछूता नहीं रह पाया है।

वैश्वीकरण का नकारात्मक प्रभाव हमारे देश में यह पड़ा है कि हमारे देश में निर्मित होने वाली वस्तुओं का प्रयोग कम हो गया है और बाहरी देशों से आने वाली वस्तुओं का प्रयोग हो रहा है, वैश्वीकरण ने सीधा भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रहार किया है। परंतु इसका सकारात्मक प्रभाव यह पड़ा है कि लोगों में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाले अलग-अलग प्रयोग, पूंजी,वस्तु एवं लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही बढ़ गई है। विश्व के एक हिस्से में घटने वाली घटना का प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ने लगा।

भारत में विश्व वशीकरण की लहर का प्रवेश लगभग अगली शताब्दी के अंत में हुआ। मिश्रित अर्थव्यवस्था में विश्वास करने वाला भारत देश भी इस लहर में जुड़ गया। भारत में वैश्वीकरण का आगाज जुलाई 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव द्वारा किया गया। 1991 में इस नई आर्थिक नीति को अपनाकर भारत वैश्वीकरण एवं उदारीकरण की प्रक्रिया से पूर्ण रूप से जुड़ गया। इस प्रक्रिया के द्वारा वित्तीय सुधारों, पूंजी बाजार और आयात -निर्यात नीति को सुधारा गया।

1 जनवरी1995 को विश्व व्यापार संगठन की स्थापना हुई और भारत इस पर हस्ताक्षर करके इसका सदस्य बन गया।

भारत वैश्वीकरण के जाल से अछूता नहीं रह पाया, इस प्रक्रिया का भारत पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ा है, क्योंकि भारत अभी विकासशील देश है वह विकास के मार्ग पर अग्रसर है, वह अभी विकसित देशों की बराबरी नहीं कर सकता। वैश्वीकरण का लाभ सर्वाधिक अर्थव्यवस्थाओं का होगा जो पहले से ही विकसित हो चुके हैं। आर्थिक रूप से पिछड़े हुए देश इस दौड़ में पीछे रह जाएंगे। अगर भारत को संतुलित समग्र और समाजवादी विकास की बढ़ोतरी करनी है तो सर्वप्रथम राष्ट्रीय सरकार की शक्तियों में भी बढ़ोतरी करनी पड़ेगी।

एक प्रक्रिया के अनुरूप वैश्वीकरण उतना ही पुराना है जितनी कि हमारी सभ्यता। परंतु पिछले दो दशकों में यह प्रक्रिया राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक महत्वपूर्ण बन गई है। भारत भी इस प्रक्रिया का हिस्सा बन चुका है।भारत की अर्थव्यवस्था 1991 में वित्तीय संकट के दौर में भारत को विश्व के अन्य देशों के लिए अपना व्यापार का द्वार खोलना पड़ा।

वैश्वीकरण की प्रवृत्ति को मजबूत करने में प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण योगदान है। इंटरनेट सोशल मीडिया और बढ़ते हुए संचार साधनों ने सारे विश्व को एक इकाई के रूप में परिवर्तित कर दिया है। यातायात एवं संचार व्यवस्था में हुई बढ़ोतरी से आज पूरा विश्व एक बाजार स्थल बन चुका है। उदाहरण के तौर पर हिमाचल प्रदेश के सेव, गुजरात और महाराष्ट्र के संतरे उत्तरी पूर्वी राज्य तक पहुंचते हैं। अगर यही प्रक्रिया दो या दो से अधिक संप्रभु देशों के मध्य हो तो इस प्रक्रिया को वैश्वीकरण का नाम दिया जाता है। 

वैश्वीकरण का प्रभाव अलग-अलग क्षेत्रों पर पड़ा है, वैश्वीकरण ने लोक संस्कृति पर सीधा प्रहार किया है, क्योंकि वर्तमान जीवन में हम किसी भी देश का गीत संगीत ओ सुन सकते हैं। इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ा है कि राष्ट्रीय संगीत को इसने पूरी तरह से प्रदूषित कर दिया है। वैश्वीकरण ने अलग-अलग देशों की लोक संस्कृति को बढ़ाया है परंतु इसके कारण सांस्कृतिक अभिव्यक्ति में रुकावट आई है। पाश्चात्य एवं विदेशों की लोक संस्कृति का वर्चस्व बढ़ गया है। लोक वाद्य एवं प्राचीन वाद्य यंत्रों के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक वाद्य यंत्रों के आ जाने से संगीत की सुर में और शास्त्रीय विशिष्टता में कमी आई है। पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण ने परंपरागत सांस्कृतिक मूल्यों का सीधे रूप से प्रहार किया है। इससे हमारे राष्ट्र की खानपान वेशभूषा एवं रहन सहन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। 

वैश्वीकरण की कुछ नकारात्मक प्रवृत्तियों के कारण व्यक्ति के नैतिक चरित्र का पतन हुआ है ।परंतु अगर वैश्वीकरण का सकारात्मक प्रभाव देखा जाए तो भारत जैसे देशों में उच्च एवं मध्यम वर्ग के लोगों की आय में वृद्धि हुई है। सेवा, क्षेत्र, दूरसंचार, वित्त मनोरंजन ,पर्यटन सेवा में लगे लोगों को कृषि व  विनिर्माण की तुलना में अधिक लाभ हुआ है।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत विकासशील देश है और वह विकास के मार्ग पर अग्रसर है, भारत अपनी आर्थिक अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना चाहता है इसलिए उसने वैश्वीकरण जैसी प्रक्रिया को अपनाया और स्वयं को इस प्रक्रिया में शामिल किया।वर्तमान में भारत जैसे विकासशील देश को वैश्वीकरण की प्रक्रिया से अलग-अलग क्षेत्रों में उन्नति प्राप्त हुई है।

सुगरा टाक, विद्यार्थी- कला वर्ग प्रथम वर्ष, जोधपुर (राज.)

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