राजस्थान में पर्यटन (Tourism in Rajasthan)

Tourism in Rajasthan by Krishna Gopal (Pali) कृष्ण गोपाल, पाली
राजस्थान में पर्यटन 

…पग पग पर जागी जोत अठे, मरने से मधुरी मौत अठे,रू रू में छतरियां देवल है,आ अमर  जुंझारां री थल अठे…”महाकवि श्री कन्हैयालाल सेठिया की यह पंक्तियां निश्चित ही राजस्थान की धरा का गौरव गान करती है। राजस्थान को सदियों से अपनी गौरव गाथा, कला एवं संस्कृति , तीर्थ स्थल,  प्राकृतिक सौंदर्य, पशु पक्षी अभयारण्य के साथ जैव विविधता एवं ऐतिहासिक स्थलों के कारण देश-विदेश में पहचाना जाता है।सन 1989 में मोहम्मद यूनुस समिति की सिफारिश पर पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया। बाद में से जन उद्योग का दर्जा मिला। पर्यटन अन्य राज्यों व देशों के सामान राजस्थान के लिए भी एक लाभदायक एवं महत्वपूर्ण उद्योग है। पर्यटन देश का दूसरा सबसे अधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाला उद्योग है तथा अन्य आर्थिक क्षेत्रों की तुलना में पर्यटन में निवेश से सर्वाधिक प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रोजगार सृजित होते हैं। संगठन- राजस्थान में 1956 से पर्यटन विभाग एक स्वतंत्र विभाग के रूप में कार्यरत है पर्यटन विभाग के नियंत्रण में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एवं स्वायत्त संस्थान कार्यरत हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम-

  1. राजस्थान पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (RTDC)
  2. राजस्थान राज्य होटल निगम लिमिटेड (RSHC)

स्वायत्त संस्थान-

  1.   राजस्थान पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान (RITMAN)

 अन्य संस्थान- राजस्थान राज्य मेला प्राधिकरणराजस्थान राज्य में पर्यटन की दृष्टि से चार संभाग है उदयपुर, जोधपुर , अजमेर एवं कोटा। राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थलों पर पर्यटक स्वागत या सूचना केंद्र संचालित है जबकि राजस्थान के बाहर चार प्रमुख महानगरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता एवं चेन्नई में पर्यटक स्वागतम सूचना केंद्र कार्यालय कार्यरत है। राजस्थान में सरकार द्वारा पर्यटन के विकास के लिए नीतिगत प्रयास भी समय-समय पर किए जाते रहे हैं ।नवीनतम प्रयास में सन 2015 में राजस्थान पर्यटन इकाई नीति 2015 की घोषणा की गई। यह नीति जून 2020 तक कार्यशील रहेगी । इस नीति के अंतर्गत पर्यटन इकाई प्रोजेक्ट हेतु भूमि सम परिवर्तन एवं भवन मानचित्र की समय सीमा निर्धारित की गई ।  निवेशकों की सुविधा हेतु  FAQ किया गया। पर्यटन इकाइयों के संचालन हेतु आवश्यक समस्त प्रकार के लाइसेंस की समय सीमा 10 वर्ष निर्धारित की गई । RIPS- 2014 के अंतर्गत टूरिज्म सेक्टर को  thrust sector घोषित कर पर्यटन क्षेत्र के उपक्रमों को अधिक लाभ प्रदान किए गए हैं । इसके अतिरिक्त परिवर्तन शुल्क एवं विकास शुल्क मेंं 100% छूट प्रदान की गई है।           राजस्थान में बहुरंगी संस्कृति, भौगोलिक विविधता, जैवविविधता, सम्मोहक ग्राम्य जीवन के कारण विभिन्न प्रकार के पर्यटन का यहां पर विकास हुआ है और अधिक संभावनाएं भी हैं। जैसे एतिहासिक दुर्ग, रणस्थल, ग्राम्य पर्यटन, जैव विविधता युक्त राष्ट्रिय उद्यान, अभयारण्य, विभिन्न लोक रंगों में पगे मेले इत्यादी।वर्ष 2018 में राज्य में भ्रमण हेतु 502.36 लाख स्वदेशी पर्यटक और 17.54 लाख विदेशी पर्यटक आए कुल 519.90 लाख पर्यटक आए। जहां भारत में विदेशी पर्यटकों के आगमन में वर्ष 2018 में 5.21% वृद्धि हुई , वहीं राजस्थान राज्य में विदेशी पर्यटकों के आगमन में 2018 में 8:97% वृद्धि हुई। राजस्थान में आने वाले सर्वाधिक विदेशी पर्यटकों में फ्रांस से आने वाले पर्यटक होते हैं। फ्रांस के पर्यटक 14%, यूके 10% , यू एस ए 8%,  जर्मनी 8%,और इटली एवं ऑस्ट्रेलिया 5% पर्यटक आते हैं।  वर्ष 2018 में सर्वाधिक स्वदेशी पर्यटक जुलाई से सितंबर तिमाही में जबकि विदेशी पर्यटक अक्टूबर से मार्च महीने में आए। पर्यटक स्थलों का विकास-

  1. पर्यटक स्थलों पर आधारभूत संरचनाओं के विकास कार्य करवाए जाते हैं। इसके तहत टूरिस्ट फैसिलिटी सेंटर, पीने के पानी की सुचारू व्यवस्था, साइन एजेज, बेंचेज, लाइटिंग , सौंदर्यीकरण करवाया जाता हैं। वर्ष 2018-19 में इस हेतु 6150.46 लाख रुपए की राशि का प्रावधान था।
  2. ग्रामीण पर्यटन का विकास करने हेतु राजस्थान सरकार ने ग्रामीण स्थानों की कला संस्कृति शिल्प कला हथकरघा व प्राकृतिक वातावरण को एक परिसंपत्ति आधार के रूप में प्रदर्शित किया है। ग्रामीण पर्यटन आर्थिक एवं सामाजिक रूप से स्थानीय समुदाय के साथ-साथ पर्यटकों और स्थानीय आबादी के मध्य पारंपरिक रूप से एक समर्थ अनुभव स्थापित करने का माध्यम है । इसके तहत वर्तमान में पर्यटन की क्षमता वाले ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास हेतु विभिन्न कार्य करवाए जाते हैं । वर्ष 2018-19 में इस हेतु 1441 .63 लाख ₹ का प्रावधान किया गया था।
  3. भारत सरकार के सहयोग से संचालित विकास योजनाओं में स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत 4 प्रोजेक्ट राजस्थान राज्य में चल रहे हैं। इसके अंतर्गत हेरिटेज सर्किट , आध्यात्मिक सर्किट, कृष्णा सर्किट, सांभर टाउन एवं आसपास के क्षेत्र का विकास कार्य किए जा रहे हैं।
  4. भारत सरकार के सहयोग से चलने वाली प्रसाद योजना के अंतर्गत पुष्कर अजमेर का समग्र विकास किया जा रहा है।
  5. स्वदेश योजना के अंतर्गत कई प्रोजेक्टों की विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर्यटन मंत्रालय , भारत सरकार को राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा भेजी गई ।इनमें निम्न प्रमुख है-

(I) वाइल्ड लाइफ सर्किट- अलवर, जयपुर, प्रतापगढ, सिरोही, राजसमन्द, धौलपुर, करौली(Ii) tribal सर्किट- बांसवाडा, डूंगरपुर, उदयपुर, प्रतापगढ, सिरोही(Iii)  desert circuit  जैसलमेर जोधपुर बीकानेर और बाड़मेर(iv)  Eco Adventure circuit-  अलवर चित्तौड़गढ़ धौलपुर जयपुर जैसलमेर राजसमंद जोधपुर कोटा सिरोही और उदयपुर(V) birding circuit- केवलादेव घाना नेशनल पार्क सांभर झील  एवं तालछापर(Vi) राज्य मे 7 पूरातत्व सर्किट (vii)  अन्य पर्यटन सर्किट जैसे- ढूंढाड़ सर्किट, अलवर सर्किट, शेखावाटी सर्किट, मेवाड सर्किट,बुद्ध सर्किट, मरु त्रिकोण, स्वर्ण त्रिभुज, तीर्थ सर्किट, बृज भूमि धार्मिक सर्किट इत्यादी।राजस्थान सरकार द्वारा किए गए अन्य प्रयास-

  1. राजस्थान के नेशनल पार्क और अभयारण्य मे  इको टूरिज्म के विकास के लिए सफारी और नाइट ट्रैकिंग का प्रयास किया जा रहा है।
  2. जयपुर में स्मृति वन, वुडलैंड पार्क, बोगनविलिया थीम पार्क, बटरफ्लाई वैली आदि विकसित की गई
  3. टोंक के आमली गांव में टाइगर सफारी पार्क।
  4. पंचकुंड पुष्कर को इको टूरिज्म स्पॉट के रूप में विकसित किया जाएगा । पुष्कर में केंद्र सरकार की मदद से लीला सेवड़ी के पास कान्हा नेशनल पार्क की तर्ज पर विजिटर्स सेंटर और इकोलॉजी पार्क बनेगा।
  5. आमेर के निकट कुंडाग्राम में हाथी गांव की स्थापना की गई । इसी हाथी गांव के पास कालबेलिया स्कूल ऑफ डांस स्थापित की गई।
  6. ऐडवेंचर टूरिज़्म के विकास के लिए जैसलमेर में डेजर्ट सफारी, सिलीसेढ़ अलवर में वाटर स्पोर्ट्स, लाखो ला तालाब कुंभलगढ़ में नौकायन, हर्ष पर्वत सीकर में पैराग्लाइडिंग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
  7. राजस्थान के करीब 60 ऐतिहासिक घटना से संबंधित पैनोरमा का भी निर्माण किया गया।
  8. भारत में स्थित 7 क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों में पश्चिमी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर में स्थापित किया गया है।
  9. भीनमाल, उदयपुर करणी माता मंदिर, पुष्कर सावित्री माता मंदिर पर रोपवे स्थापित किया गया।
  10. बॉर्डर टूरिज़्म  को विकसित करने की दृष्टि से श्री गंगानगर जिले की हिंदूमलकोट चौकी को पर्यटकों के लिए खोला गया
  11. शिल्पग्राम योजना – हस्तशिल्प व  शिल्प कला को  प्रचारित करनेे तथा हस्त शिल्प्पीयों  को एक स्थान पर एकत्रित करने व उन्हें बिचौलियों के हस्तक्षेप से बचाने हेतु राज्य में शिल्पग्राम स्थापित किए जा रहे हैं । पुष्कर , उदयपुर , सवाई माधोपुर,  पाल- जोधपुर में शिल्पग्राम स्थापित किए गए हैं।
  12. ब्रह्मा मंदिर पुष्कर , पुष्कर सरोवर एवं उसके घाटों को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया जा चुका है।
  13. हल्दीघाटी राजसमंद में महाराणा प्रताप सिंह संग्रहालय, जयपुर में मीरा संग्रहालय स्थापित किए गए।
  14. ओपेरशन वेलकम– जैसलमेर की पुलिस ने पर्यटकों को लपका गिरोह से बचाने के लिए ऑपरेशन वेलकम शुरू किया
  15. उदयपुर में कैलाशपुरी और हवाला गांव में आयुर्वेद गांव की स्थापना की गई और जोधपुर के निकट एक आयुर्वेद गांव प्रस्तावित है।
  16. adopt a monument योजना
  17. रिसरजेंट राजस्थान 2015 पर्यटन उद्योग में निजी निवेश को बढ़ावा देने हेतु यह कार्यक्रम रखा गया ।इस कार्यक्रम में कुल 221 एमओयू का निष्पादन हुआ। कुल 10442 करोड रुपए का निवेश प्रस्तावित था । 40905 व्यक्तियों को रोजगार मिलना  इसमें प्रस्तावित है । इन 221 एमओयू में से 51 एमओयू पर योजनाओं का क्रियान्वयन प्रगति पर है इसमें 13 परियोजना क्रियान्व्वीत हो चुकी है जबकि 38 परियोजनाएं अभी क्रियान्वयन के दौर में है।
  18. राजस्थान फिल्म शूटिंग रेगुलेशन (संशोधित ) 2016 के अनुसार जिलेवार नोडल ऑफिसर की नियुक्ति की गई है और अभी तक कुल 55 फिल्मों को फिल्म शूटिंग की अनुमति राजस्थान में दी गई है।
  19. पर्यटक सहायता बल- पर्यटक सहायता बल योजना पर्यटन विभाग द्वारा वर्ष 2000-2001 में पुलिस कर्मियों की नियुक्ति से शुरू की गई । किंतु कुछ समय पश्चात पुलिस विभाग के असहयोग से बंद हो गई । तत्पश्चात वर्ष 2002 में पर्यटन विभाग द्वारा सैनिक कल्याण बोर्ड के माध्यम से भूतपूर्व सैनिकों को पर्यटक सहायता बल में तैनात किया गया था। वर्तमान में पर्यटन विभाग द्वारा राजस्थान एक्स सर्विसमैन कॉरपोरेशन लिमिटेड ( REXCO ) को जो राजस्थान सरकार का एक उपक्रम है,  के माध्यम से भूतपूर्व सैनिकों को पर्यटन सहायता बल में तैनात किया जाता है। वर्तमान में 11 जिलों में 139 भूतपूर्व सैनिकों के पद स्वीकृत है यह पर्यटक सहायता बल टूरिस्ट को निर्धारित स्थान की दूरी के बारे में मार्गदर्शन देता है, चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाता है, पेट्रोलिंग करता है तथा यथासंभव सहायता प्रदान करता है। स्थानीय कानून व्यवस्था, सुरक्षा से परिचित करवाता है एवं सावधानियां समझाता है।  टाउट्स से पर्यटकों को प्रताड़ित होने से बचाता है।

पर्यटन उद्योग में मानव संसाधन विकास हेतु संचालित प्रशिक्षण संस्थान-

  1.  होटल प्रबंधन संस्थान जोधपुर
  2. फूड क्राफ्ट संस्थान, अजमेर
  3. राज्य होटल प्रबंध संस्थान उदयपुर
  4. फूडक्राफ्ट संस्थान सुमेरपुर पाली

राजस्थानपर्यटन विकास निगम राजस्थान में पर्यटकों को आवास, भोजन, यातायात, नौकायन आदी सुविधायें उपलब्ध करवाने हेतु 1 अप्रैल 1979 को राजस्थान पर्यटन विकास निगम का गठन किया गया। यह राजस्थान सरकार का सार्वजनिक उपक्रम हे। आवास सुविधा हेतु निगम की 78 इकाईयाँ हे जिनमें 801 लेटेबल कमरे एवं 1656 शैय्या क्षमता हे। लेकिन कमरा उपभोग दर 19.36% एवं शैय्या उपभोग प्रतिशत 19.23% हे। इतना निम्न प्रतिशत RTDC की कार्यदक्षता पर प्रश्न चिन्ह् लगाता हे और पर्यटन को प्रोत्साहन की आवश्यक्ता की तरफ इंगित करता हे। निगम द्वारा सुगम एवं आरामदायक परिवहन सुविधायें भी उपलब्ध कराई जाती हे। जिसमें राजस्थान भ्रमण पेकेज टूर भी शामिल हे।  राज भ्रमण नामक जयपुर से संचालित निम्न पेकेज टूर उपलब्ध कराता हे।भारतीय रेल और निगम के संयुक्त उपक्रम में 1982 से पेलेेेस ऑन व्हील एक शाही रेलगाड़ी है जो देसी और विदेशी दोनों ही प्रकार के पर्यटकों को आकर्षित  करती है। राजस्थान राज्य हॉटल निगम भी राजस्थान  सरकार का सार्वजनिक उपक्रम है । इसका मुख्यालय हॉटल खासा कोठी,  जयपुर में स्थित हे। राजस्थान राज्य मेला प्राधिकरणराजस्थान राज्य मेला प्राधिकरण का गठन राजस्थान की समृद्ध संस्कृति के धार्मिक , सामाजिक, सांस्कृतिक पहलुओं के परिप्रेक्ष्य में लोक जीवन को सरल बनाने के लिए किए जाने वाले मेलों का आयोजन पूर्ण सुरक्षा तथा सुविधाओं की परिपूर्णता के साथ संपन्न कराने के उद्देश्य से राज्य स्तरीय  निकाय/ संगठन के रूप में किया गया है। इस प्राधिकरण का प्रशासनिक विभाग पर्यटन विभाग है प्राधिकरण के अधीन 33 जिलों में मेला समितियों का गठन किया गया है प्राधिकरण द्वारा माह दिसंबर 2018 तक 42 मेलों  को पंजीकृत किया जा चुका है।  संभावनाएंराजस्थान की बहू रूपी स्थलाकृतियां, प्राकृतिक विविधतापूर्ण कहीं जैसलमेर के स्वर्ण रज से चमत्कृत धोरे के रूप में तो कहीं आबू पर्वत की हरी-भरी ऊंची सुरम्य पहाड़ियों के रूप में तो कहीं चंबल नदी के रूप में जनमानस को बरबस ही आकर्षित करती है । राजस्थान में इको टूरिज्म के रूप में तीन राष्ट्रीय उद्यान, 26 अभयारण्य, 5 बायोलॉजिकल पार्क, 7 मृग वन, 10 conservation reserve जैव विविधता संपन्न स्थल है । विभिन्न अंचलों में ग्राम शिल्प, ग्रामीण जीवन, गांव में पेइंग गेस्ट योजना के कारण ग्रामीण पर्यटन पर्याप्त संभावना युक्त है । ऐतिहासिक स्थलों के रूप में दुर्ग, महल, रण स्थल और छतरियां है। साथ ही सरकारी प्रयास के रूप में वीरगाथा का बखान करते 60 के लगभग पैनोरमा विकसित हैं । छ एतिहासिक दुर्ग तो 2013 में विश्व विरासत स्थल के रूप में यूनेस्को द्वारा नामांकित हुए । इसके अतिरिक्त जयपुर का जन्तर मन्तर ( 2010) केवलादेव घाना (1985) , जयपुर शहर (2019) ,  कालबेलिया डांस यूनेस्को द्वारा घोषित विरासत है । लोक जीवन के रस एवं उनकी अभिव्यक्ति के रूप में मेलों का आयोजन देशी-विदेशी पर्यटकों के पर्यटन का कार्यक्रम एवं तिथी निर्धारण में सहायता करता है।चुनौतियां कोरोना काल में देश की सीमाएं अन्य देशों के लिए बंद कर दिए जाने , new normal, स्वच्छता के नवीन मापदंड, गिरती अर्थव्यवस्था के कारण पर्यटन उद्योग पर गहरी मार पड़ी है । ऐसे में पुनः इस उद्योग का अपने पैरों पर ता ता थैया करना एक गंभीर चुनौती है । विदेशी मुद्रा अर्जन का अहम स्रोत पर तालाबंदी राज्य व देश की अर्थव्यवस्था की चुड़ै हिला चुकी है। धीरे-धीरे राज्य व केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार सभी सेक्टर खुल रहे हैं तथा जीवन गाड़ी पटरी पर लौटने लगी है, तब पर्यटन उद्योग को भी शनै शनै गति देनी चाहिए। विदेशी पर्यटक तो नहीं , लेकिन देशी पर्यटकों को प्रोत्साहन देना चाहिए।  पर्यटक स्थलों पर कोरोना से भयमुक्त वातावरण सृजित करना चाहिए। इससे पर्यटन उद्योग में उत्साह का संचार होगा। राज्य के युवाओं को रोजगार एवं अर्थव्यवस्था में  उद्दीपन मिल पाएगा। पर्यटकों से विहीन इस समय का सदुपयोग पर्यटक विभाग अवसंरचना निर्माण में करना चाहिए । विश्वव्यापी संकट के अतिरिक्त भी यहां अनेका अनेक चुनौतियां हैं जिनसे पार पाना महती आवश्यकता है । पर्यटक स्थलों के विकास के लिए प्रस्तावित बजट का केवल एक चौथाई हिस्सा ही व्यय हो पाता है।  पर्यटक स्थलों पर स्वच्छता का अभाव है । दक्ष मानव संसाधन जैसे गाइड, एजेंट, पर्यटन सुरक्षा बल तथा हॉस्पिटैलिटी से जुड़े कार्मिकों का भी अभाव है। लपका गिरोह भी पर्यटन उद्योग को हानि पहुंचाते हैं। होटलों में सुविधाओं में वृद्धि कर कमरो की उपयोगिता दर (bed occupancy rate) में वृद्धि की जा सकती है । बड़े शहरों में नाइट कल्चर का विकास विदेशी पर्यटकों को उपलब्ध एक अतिरिक्त सुविधा साबित हो सकती है ।

राजस्थान राज्य में अपार संभावनाओं के बावजूद भी अनेक चुनौतियां सम्मुख है । राज्य का आम नागरिक अच्छा मेजबान  बन कर और शासन-प्रशासन सुविधाओं में विस्तार कर पर्यटकों के लिए एक अच्छा अनुभव सृजित  कर सकते हैं।

Related Articles

राजस्थान की महत्त्वपूर्ण विभूतियां (Eminent Personalities of Rajasthan)

बप्पा रावल :-इन्हें ‘कालभोज’ के नाम से भी जाना जाता हैं।इन्होंने 8वीं शताब्दी में मेवाड़ में ‘रावल वंश’ की स्थापना की। पहले इनका शासन उदयपुर…

मूल अधिकार (Fundamental Rights)

Admin Comment: श्रीमती अनिता शर्मा (जयपुर) का आर्टिकल जो आरएएस (RAS), सिविल सेवा तथा राजस्थान एवं भारत की विभिन्न परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।…

Responses

Your email address will not be published. Required fields are marked *

INKCourse

FREE
VIEW